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पैकेज स्टोरी// आफ्टर केयर का नहीं हो रहा कोई केयर// खिड़की-दरवाजे, गेट-ग्रील, पंखे-बल्ब सबकुछ हुई चोरी// लोग कह रहे. कहीं हो न जाय इस भवन की भी चोरी// बड़ा सवाल. उपयोग नहीं होना था, तो क्यों खर्च किये गये 1.12 करोड़ आनंद जायसवाल, दुमकाउपराजधानी दुमका में साढे तीन साल पहले धाधकिया में एक सुनसान जगह […]

पैकेज स्टोरी// आफ्टर केयर का नहीं हो रहा कोई केयर// खिड़की-दरवाजे, गेट-ग्रील, पंखे-बल्ब सबकुछ हुई चोरी// लोग कह रहे. कहीं हो न जाय इस भवन की भी चोरी// बड़ा सवाल. उपयोग नहीं होना था, तो क्यों खर्च किये गये 1.12 करोड़ आनंद जायसवाल, दुमकाउपराजधानी दुमका में साढे तीन साल पहले धाधकिया में एक सुनसान जगह पर बनाये गये आफ्टर केयर होम को खुद केयर की जरुरत पड़ गयी है. 1.12 करोड़ रुपये की लागत से बनाये गये आफ्टर केयर होम में खर्च किये सरकारी पैसे का आज तक एक आना भी उपयोग नहीं हो सका है. बिना नीति निर्धारित किये सरकार ने यह भवन तो बनवा दिया, लेकिन उसकी उपयोगिता अब तक सुनिश्चित नहीं करवा सकी. लिहाजा इतनी बड़ी लागत से बना भवन बेकार पड़ा हुआ है.कोई देखरेख नहीं होने की वजह से इसका लाभ चोर उच्चके खूब उठा रहे हैं. हर दिन इस भवन से कुछ न कुछ चोरी हो रहा है. किसी दिन ग्रील उखाड़े जा रहे हैं, तो किसी दिन दरवाजे. वायरिंग तो पूरी की पूरी ही उखाड़ी जा चुकी है. बेसिन से लेकर सिंक तक उच्चके उठा ले गये हैं. जो नहीं ले जा सके हैं, उन्हें वहीं तोड़फोड़ कर बरबाद कर रहे हैं………….शासन-प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहा है भवन में लगा तालाइस भवन के दो मुख्य गेट है. दोनों में कोलेप्सेबल ग्रील लगे हुए हैं. दोनों ही ग्रील में चमचमाते ताले जरुर जड़े हुए हैं और गेट भी सुरक्षित है. पर हंसी वाली बात यह है कि भवन के चहुंओर बनी खिड़कियों के ग्रील उखाड़े जाने से एक नहीं दर्जनाे स्थानों से इसमें आसानी से चोर उच्चके प्रवेश करते हैं और सामान निकालकर चलते बनते हैं…………स्लाइड की हो चुकी चोरी, अब नष्ट हो रही टाइल्सइस भवन के सभी खिड़कियों में अलम्युनियम स्लाइड लगाये गये थे. काले-काले शीशे भी लगाये गये थे. अलम्युनियम स्लाइड को स्क्रू खोलकर उच्चके ले गये और सारे के सारे शीशे चूर चूर कर उसी भवन के चारो ओर फेक दिया है. पाइप फिटिंग्स भी उखाड़े जा चुके हैं. नजर अब फर्श पर बिछी टाइल्स पर है. उसे भी उखाड़कर बरबाद करने की कोशिशें चल रही है…………उपयोग में लाया भी गया, तो खर्च करनें होंगे लाखों रुपयेअब इसे उपयोग में लाने के लिए फिर लाखों रुपये खर्च करने की जरुरत पड़ेगी. दरअसल शहर से छह-सात किमी की दूरी पर सूनसान जगह पर इस भवन को बनाया गया था. उल्लेखनीय है कि इतनी बड़ी लागत से वीरान जगह पर बने इस भवन की चहारदीवारी नहीं बनायी गयी है………..7 अगस्त 2012 को डिप्टी सीएम के तौर पर हेमंत सोरेन ने किया था उद्घाटनइस भवन के उद्घाटन किये हुए लगभग साढ़े तीन साल गुजरने को है. इस भवन का उद्घाटन बतौर उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 7 अगस्त 2012 को किया था. इस आफ्टर केयर होम को बनाये जाने का मकसद ऐसे लोगों को आश्रय प्रदान करना था, जिनकी देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं है. भवन बनने के बाद इसे चालू कराने की पहल केवल कागजों में ही हुई है. दो साले पहले जब समाज कल्याण विभाग की सचिव मृदुला सिन्हा दुमका पहुंची थी और प्रमंडलीय बैठक की थी, तब उन्होंने इस आफ्टर केयर होम को चालू कराने की बात कही थी. बाद में सरकार बदली, तो दुमका की विधायक डॉ लोईस मरांडी समाज कल्याण मंत्री बनीं. उन्होंने भी इसकी बदहाली देखी, पर आज तक उनके स्तर से भी इस सरकारी संपत्ति की उपयोगिता सुनिश्चित नहीं करायी जा सकी…………क्या कहते हैं स्थानीय लोग‘‘सरकार जो भी संरचना विकसित करती है, वह कहीं न कहीं जनता से कर के रुप में वसूला गया राजस्व होता है. संरचना विकसित करने के बाद उसका उपयोग नहीं किया जाना बेहद ही दुखद है.तपन, धाधकिया‘‘अगर इस भवन का उपयोग आफ्टर केयर होम के रुप में सरकार या विभाग नहीं कर सकती, तो इसमें स्कूल ही खोल दे, जिससे इसका उपयोग भी हो पाता और सरकारी संपत्ति की रक्षा भी हो जाती.छोटन राय, धाधकिया.‘‘साढ़े तीन साल में इस भवन का उपयोग नहीं करा सकना सरकार के उपेक्षित रवैये का परिचायक है. दरअसल सरकार हवा हवाई काम करती है, फैसले नहीं ले पाने से सरकारी व्यवस्था की जमीनी हकीकत सामने है.सुनील दास, धाधकिया…………फोटो23 दुमका 11 से 20 तक

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