ब्रेन मलेरिया से एक बच्ची की मौत, दर्जनों आक्रांत मवेशी बेचकर व उधार उठाकर लोग इलाज कराने को मजबूरविभाग नहीं ले रहा सुधिदुखियाडीह, बाथानबेड़ा, बुधुडीह, पाकुड़तला व चुआपानीवासी ब्रेन मलेरिया की चपेट मेंप्रतिनिधि, रानीश्वररानीश्वर प्रखंड के बृंदावनी पंचायत के पहाड़ के ऊपर बसे विभिन्न गांवों में इन दिनों ब्रेन मलेरिया का कहर है. ब्रेन मलेरिया से दुखियाडीह गांव के तीन वर्षीय बच्ची संजोती सोरेन की मौत हो गयी है. संजोती की मां लीलमुनी मुर्मू, पिता चोम सोरेन तथा परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. गांव के पोषक क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सेवा की व्यवस्था नहीं रहने तथा गरीबी के कारण समय पर इलाज नहीं करा पाने के कारण मात्र तीन साल में ही नन्हीं संजोती दुनिया से चल बसी. रविवार को संजोती के घर पहुंचने पर देखा गया कि ग्रामीण परिजनों को सांत्वना दे रहे हैं. संजोती के मां-बाप को सांत्वना देने के अलावा ग्रामीणों के पास कोई उपाय भी नहीं था. संजोती की ही बड़ी बहन एमेली सोरेन भी ब्रेन मलेरिया की चपेट में आयी थी. किसी तरह पैसा जुगाड़ कर एमेली को झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करा कर बचाया जा सक. संजोती की मां लीलमुनी ने बताया कि यहां स्वास्थ्यकर्मी पहुंचते तो मेरी बेटी की असमय जान नहीं जाती. गांव में अनिमेश मुर्मू, मेनुका हेम्ब्रम, आसमा मुर्मू आरिया मुर्मू, बाथानबेड़ा गांव के दिनेश टुडू, सुरज पुजहर, राजनती पुजहर, महेश्वरी पुजहर, रूपाली पुजहर, राजीव बेसरा, अंजली पुजहर, सहदेव बेसरा, प्रदीप सोरेन, प्रेम हांसदा आदि भी इसकी चपेट में हैं. इन बच्चों की उम्र एक साल से पांच साल तक है. ब्रेन मलेरिया से आक्रांत मरीजों को उनके परिजन मवेशी बेच कर इलाज करा रहे हैं. ग्रामीण मेरी सोरेन ने बताया कि उनका चार वर्षीय बेटा भी इसकी चपेट में आया था. प्राइवेट चिकित्सक से इलाज कराया है. ग्रामीणों ने बताया कि जाड़े के मौसम में प्रतिवर्ष पहाड़ के उपर बसे गांवों में मलेरिया व ब्रेन मलेरिया का प्रकोप रहता है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मी सुधि लेने तक नहीं पहुंचते हैं. दुखियाडीह, बाथानबेड़ा, बुधुडीह, पाकुड़तला, चुआपानी आदि गांव में मलेरिया व ब्रेन मलेरिया की चपेट में है. प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र तरणी के पोषक क्षेत्र में इन सारे गांव आता है. स्वास्थ्य कर्मी गांवों का दौरा करने पर या इन गांवों में बीच-बीच में स्वास्थ्य शिविर लगाने से ग्रामीणों को राहत मिलता. ग्रामीणों ने बताया कि इन गांवों के लोग लकड़ी बेचकर और मजदूरी कर परिवार चलाते हैं. इन दिनों हर घर में खास कर बच्चे इसकी चपेट में आ जाने से ग्रामीणों को घर के मवेशी बेच कर या महाजन से उधार ले कर इलाज कराना पड़ रहा है. झोलाछाप डाॅक्टर एक मरीज से पांच सौ से एक हजार रुपये तक वसूल रहे हैं…………हमलोग पिछड़ा हुआ क्षेत्र में रहते हैं. इसलिए इधर किन्हीं का ध्यान नहीं है. बिना इलाज के मर जाने पर भी सुधि लेने वाले कोई नहीं है.बाबुराम पुजहर, ग्रामीणजाड़े के दिनों में इन गांवों में मलेरिया व बरसात के दिनों में डायरिया का प्रकोप रहता है़. यह प्रतिवर्ष होता है, फिर भी स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं देता है. सरस्वती पुजहर, ग्रामीणपदाधिकारी कहते हैं गांव में शिविर लगाकर मरीजों के स्वास्थ्य का जांच करायी जायेगी. जांच के बाद मरीजों के बीच दवा वितरण किया जायेगा.डॉ जैनुल आवेदिन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, रानीश्वर………..फोटो 15 डीएमके/रानीश्वर1़ मृत संजोती के घर रोते बिलखते परिजन2़ बाथानबेड़ा गांव में ब्रेन मलेरिया की चपेट में बच्चे3़ बाबुराम पुजहर4़ सरस्वती पुजहर……………..
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ब्रेन मलेरिया से एक बच्ची की मौत, दर्जनों आक्रांत मवेशी बेचकर व उधार उठाकर लोग इलाज कराने को मजबूरविभाग नहीं ले रहा सुधिदुखियाडीह, बाथानबेड़ा, बुधुडीह, पाकुड़तला व चुआपानीवासी ब्रेन मलेरिया की चपेट मेंप्रतिनिधि, रानीश्वररानीश्वर प्रखंड के बृंदावनी पंचायत के पहाड़ के ऊपर बसे विभिन्न गांवों में इन दिनों ब्रेन मलेरिया का कहर है. ब्रेन मलेरिया […]
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