दुमका : उपराजधानी में गणोश पूजा को लेकर विभिन्न पंडालों में मेले सा नजारा रहा. दुमका के दुधानी–हरिजनपाड़ा में कलशयात्र निकाली गयी. इसमें मुहल्ले की महिलाओं ने बढ़–चढ़ कर हिस्सा लिया. घंटे भर तक चले अनुष्ठान के बाद लोगों ने गणोश जी का दर्शन–पूजन किया. यहां गणोश पूजा का यह दूसरा साल है.
इस पंडाल में 21 प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं, इसमें गणोश के बाल रुप से लेकर उनकी वीरता, बुद्धिमता के साथ–साथ गर्दन कटने से लेकर उनके महात्म्य के तमाम प्रसंगों को प्रतिमाओं के जरिये प्रदर्शित कर गयी है. प्रतिमा के दर्शन के लिए बच्चों–युवाओं में काफी उत्सुकता दिखी.
वहीं बड़ा बांध ठाकुरबाड़ी में 24 वर्षो से गणोश पूजा का आयोजन होता रहा है. यहां 25 वर्ष पहले हरिद्वार से आये एक संत के हाथी की मौत हो गयी थी. मंदिर प्रांगण में हाथी की मौत होने के बाद लोगों ने हाथी को अनुष्ठानपूर्वक वहीं दफना दिया था, जिसके बाद मंदिर का निर्माण कराया गया. गणोश मंदिर में गणपति की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित कर सालो भर पूजा हो रही है.
हालांकि गणोश चतुर्थी पर हर साल विशाल प्रतिमा स्थापित कर पूजन किये जाने की परंपरा अब भी बरकरार है. यहां पूजा के आयोजन में मानस शेखर, कन्हाई प्रसाद साह आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं.
रामगढ़ में भी स्थापित हुई प्रतिमा
रामगढ़ . सार्वजनिक गणोश पूजा समिति द्वारा सोमवार को पांच दिवसीय गण्ेाश पूजन समारोह प्रारंभ हुआ. समिति द्वारा प्रत्येक दिन आठ बजे सुबह पूजन होगा तथा संध्या सात बजे से आरती के बाद मध्य रात्रि तक भजन–कीर्तन आयोजित किये जायेंगे. मंगलवार तक यहां गायत्री यज्ञ भी आयोजित होगा. प्रतिमा का विर्सजन शुक्रवार को किया जायेगा.