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निजी क्लिनिक भी रहे बंद, भटकते रहे मरीज

हड़ताल. आइएमए के आंदोलन का दिखा असर, सदर अस्पताल में बंद रही ओपीडी सेवा नेशनल मेडिकल काउंसिल बनाने का किया विरोध, नारेबाजी अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद होने के बाद भटकते रहे मरीज दुमका : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर दुमका में भी डाॅक्टर हड़ताल पर रहे. न तो डॉक्टरों की निजी क्लिनिक […]

हड़ताल. आइएमए के आंदोलन का दिखा असर, सदर अस्पताल में बंद रही ओपीडी सेवा

नेशनल मेडिकल काउंसिल बनाने का किया विरोध, नारेबाजी
अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद होने के बाद भटकते रहे मरीज
दुमका : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर दुमका में भी डाॅक्टर हड़ताल पर रहे. न तो डॉक्टरों की निजी क्लिनिक खुली न ही सरकारी डॉक्टरों ने अस्पताल में ही ओपीडी सेवाएं दी. सभी चिकित्सकों ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को रद्द कर नेशनल मेडिकल काउंसिल बनाने के सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे थे. सभी डॉक्टरों ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए घूम-घूम कर निजी क्लिनिकों को बंद कराया. मंगलवार को अन्य दिनों की तरह सदर अस्पताल में मरीजों का तांता लगा रहा. लेकिन आइएमए के आह्वान पर अचानक ओपीडी सेवा बंद दिखने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.
हालांकि सदर अस्पताल में इमरजेंसी सेवा जारी रही. इसमें एक चिकित्सक द्वारा गंभीर मरीजों को देखा गया. ओपीडी सेवा में मरीजों की लाइन लगी रही, लेकिन सिर्फ गंभीर मरीजों का ही इलाज किया गया. आइएमए के सचिव डाॅ देवाशीष रक्षित ने कहा आइएमए के राष्ट्रीय आह्वान पर दुमका के चिकित्सक ब्लैक डे मना रहे हैं. सभी चिकित्सक 12 घंटे के लिए हड़ताल पर हैं. अस्पताल पहुंच कर अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे, पर ओपीडी सेवा नहीं देंगे. उन्होंने कहा चिकित्सक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को रद्द कर नेशनल मेडिकल काउंसिल बनाने का सरकार के निर्णय का विरोध में है. इसके पारित हो जाने से लोगों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. यह आम लोगों के लिए घातक साबित होगा
बिल में है त्रुटि, गरीब मेधावी छात्रों को होगी परेशानी
आइएमए सचिव ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग करने के लिए सरकार बिल ला रही है, जो नेशनल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से संबंधित है. बिल को लोकसभा में पेश किया जायेगा. इस पर चर्चा होगी. इस बिल में खामी है. जैसे कि एलोपैथी को छोड़कर जो भी अन्य चिकित्सा पद्धति है. उनके चिकित्सक एक ब्रीज कोर्स करके मॉर्डन मेडिकल मेडिसिन का प्रैक्टिस कर सकते हैं. जो कोर्स कुछ महीनों का है. फॉरन मेडिकल ग्रेजुएट सीधे प्रैक्टिस कर सकते है, लेकिन यहां के लोगों को एमबीबीएस करने के बाद फिर से स्क्रीनिंग टेस्ट देना होगा. उन्होंने कहा प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के 40 प्रतिशत सीट सरकार अपने कब्जे में रखी है. शेष 60 प्रतिशत सीट को प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के होथों में दे दिया गया है. वे अपनी इच्छानुसार मेडिकल के छात्रों का नामांकन शुल्क तय करेंगे. इसका कोई मापदंड तय नहीं है. ऐसे में गरीब परिवार के मेधावी बच्चों का डॉक्टर बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा. वे प्राइवेट मेडिकल कॉलजों के दर पर कभी अपने बच्चों का नामांकन नही करा पायेंगे. सरकार का निर्णय है कि एनएमसी हायर कंट्रोलिंग बॉडिज में मेडिकल से जुड़े कोई भी सदस्य नही रहेंगे. जिन्हें मेडिकल के विषय में कुछ भी जानकारी नही हो, वे क्या बोर्ड का संचालन करेंगे.

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