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न दवा, न डॉक्टर, कैसे बचेंगे पशु

दुमका : संताल परगना जैसे पिछड़े क्षेत्र में बड़ी आबादी कृषि व पशुपालन से जुड़ी हुई है. बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जितना की तीन-चार दशक पहले दिया जाता था. उस वक्त पशुपालकों को पशुपालन में उतनी परेशानी नहीं होती थी. पशु चिकित्सक उपलब्ध तो थे ही, दवाइयां भी पर्याप्त मिल जाती […]

दुमका : संताल परगना जैसे पिछड़े क्षेत्र में बड़ी आबादी कृषि व पशुपालन से जुड़ी हुई है. बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जितना की तीन-चार दशक पहले दिया जाता था. उस वक्त पशुपालकों को पशुपालन में उतनी परेशानी नहीं होती थी. पशु चिकित्सक उपलब्ध तो थे ही, दवाइयां भी पर्याप्त मिल जाती थी. अब तो विभाग में डॉक्टर ही नजर नहीं आते.

ग्रामीण क्षेत्र के पशु चिकित्सालय पशु चिकित्सक नहीं रहने की वजह से बंद ही नजर आते हैं. पांच-छह महीने से पशुओं के लिए आवश्यक दवाइयां भी मिलना लगभग बंद-सा हो गया है.

बात करें दुमका में पशु चिकित्सकों के पदस्थापन की, तो यहां शीर्ष पद ही खाली पड़ा हुआ है. मार्च महीने से जिला पशुपालन पदाधिकारी का पद खाली पड़ा हुआ है, तो शिकारीपाड़ा को छोड़ अन्य प्रखंड यथा काठीकुंड, मसलिया, जामा, जरमुंडी, सरैयाहाट, रामगढ़, गोपीकांदर, दुमका व रानीश्वर में प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी नहीं. अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी भी यहां नहीं हैं.
कुल 39 पशु चिकित्सकों में से 21 पशु चिकित्सकों के पद खाली पड़े हुए हैं. आधे दर्जन भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी का भी दुमका जिले में पद खाली पड़ा हुआ है. इनमें गांदो, दलाही, आसनबनी, नोनीहाट, गोपीकांदर व कड़बिंधा शामिल हैं.
दवा के पैसे हैं, पर खरीदने का पावर नहीं : डॉ देवनंदन
जिला पशुपालन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पशुपालकों को मवेशियों के लिए नि:शुल्क दवा उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है. लंबे समय से दवा की खरीद नहीं हो सकी है. दरअसल, 29 मार्च करे तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी बीके सिंह एवं लेखापाल अरबिंद कुमार सिंह को भ्रष्टाचार निरोधक कोषांग ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ धर दबोचा था.
उसके बाद इस जिले में नये जिला पशुपालन पदाधिकारी का पदस्थापन नहीं हुआ. पशु शल्य चिकित्सक डॉ देवनंदन प्रसाद को अतिरिक्त प्रभार मिला है, लेकिन वेतन भुगतान व दैनिक कार्यों के लिए. ऐसे में लगभग 12 लाख रुपये उपलब्ध रहने के बावजूद दवा की खरीद नहीं हो पा रही. डॉ प्रसाद भी स्वीकार करते हैं कि दवा खरीदने के लिए पैसे तो आये हुए हैं, पर उसकी शक्ति उन्हें नही है.
जिला में पशुपालन पदाधिकारी का पदस्थापना हुआ होता, तो दवाइयों की खरीद कर ली गयी होती और आज पशुपालक लाभ ले रहे होते.
यहां नही हैं प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी
काठीकुंड, मसलिया, जामा, जरमुंडी, सरैयाहाट, रामगढ़, गोपीकांदर, दुमका एवं रानीश्वर
चिकित्सक के अभाव में ये पशु चिकित्सालय प्रभावित
गांदो, दलाही, आसनबनी, नोनीहाट, गोपीकांदर एवं कड़बिंधा.
ये पद हैं रिक्त
जिला पशुपालन पदाधिकारी
अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी
कनीय पशु चिकित्सा पदाधिकारी
भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी (पशु चेचक)
सहायक कुक्कुट पदाधिकारी
भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी (चलंत)
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