कारगिल युद्ध में वीरता की मिसाल बन चुके धनबाद के दामोदरपुर निवासी राज कुमार श्रीवास्तव आज भी देशभक्ति के जज्बे और जुनून के साथ जीते हैं. 1988 में भारतीय सेना में भर्ती हुए राज कुमार का सपना था भारत मां की सेवा करना. 1999 में कारगिल युद्ध ने उन्हें वह अवसर दिया. वह उस समय द्रास सेक्टर के 240 प्वाइंट पर तैनात थे, जहां स्थिति बेहद भयावह थी. उन्होंने बताया कि हम फौजी भाई उस माहौल में भी एक-दूसरे से ऐसे मिलते थे जैसे बरसों के भाई हों. राज कुमार 27 मई 1999 को दुश्मन के बम हमले में गंभीर रूप से घायल हो गये थे. दुश्मन पहाड़ी की ऊंचाई पर थे, इस वजह से मुकाबला और भी मुश्किल था. हमले के बाद वह 45 दिनों तक अचेत रहे और जब होश आया, तो खुद को कोलकाता के कमांड हॉस्पिटल में पाया. दो साल बाद उन्होंने फिर से ड्यूटी जॉइन की. 2005 में सेवानिवृत्त होकर वह फिलहाल केंद्रीय विद्यालय, मैथन में वरिष्ठ सचिवालय सहायक के पद पर कार्यरत हैं. आज जब भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन सिंदूर ” के तहत की जा रही सैन्य कार्रवाई पर पूरा देश गौरव महसूस कर रहा है, तब राज कुमार भी गर्व से कहते हैं. हमने कारगिल में दुश्मनों के पसीने छुड़ाए थे, आज हमारी नयी पीढ़ी भी वही काम कर रही है. यह देखकर बेहद खुशी होती है. उन्होंने युवाओं से देश सेवा में आगे आने का आह्वान किया व कहा कि भारतीय सेना में सेवा करना सबसे बड़ा गर्व है. उन्होंने कहा कि आज के योद्धा देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
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