15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

धनबाद की सभा में भीड़ देखकर चिंतित हो गये थे जेपी, जानें क्यों

जेपी आंदोलन में भागीदार रहे वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1974 के उथल-पुथल भरे माहौल पर बात की. वे जदयू की ओर से राज्यसभा के सदस्य रहे और पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष भी रहे थे.

जेपी आंदोलन में भागीदार रहे वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1974 के उथल-पुथल भरे माहौल पर बात की. उन्होंने छात्रों के वृहद समाज से जुड़नेवाले सपनों पर बात की. आंदोलन के दौरान बनी छात्र संघर्ष संचालन समिति में अहम भूमिका निभानेवाले सिंह को छात्र आदर व सम्मान से ‘दादा’ कहते थे. यही उनकी मूल पहचान बन गयी. जदयू की ओर से राज्यसभा के सदस्य रहे और पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष भी रहे. उनसे बातचीत की हमारे ब्यूरो संवाददाता मनोज कुमार ने. प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश.

Q. जेपी आंदोलन क्यों सफल हुआ?

जेपी का व्यक्तित्व बहुत बड़ा था. आंदोलन में यह बहुत सहायक हुआ. उनके विराट व्यक्तित्व के दम पर सत्ता बदली. वे हर मुद्दे पर विमर्श करते थे. साथियों को विश्वास में लेकर रणनीति बनाते थे.

Q. जेपी का व्यक्तित्व किन-किन मायनों में बड़ा था?

जेपी के व्यक्तित्व का ही कमाल था कि चंबल के डाकुओं ने सरकार की जगह जेपी के समक्ष समर्पण किया. तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने जेपी को किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से बड़ा बताया. भारत का कोई भी राष्ट्रपति किसी व्यक्ति के लिए कभी ऐसा बोला हो, ये आपको देखने-सुनने को नहीं मिलेगा.

Q. जेपी के दर्शन को कैसे देखते हैं ?

जेपी बड़े समाजवादी थे. मगर सिर्फ समाजवादी थे, ये नहीं कहा जा सकता. वे साम्यवादी भी थे. साम्यवाद पर उनका गहरा असर था. वे भूदानी भी थे. सर्वोदयी भी थे. जाति विरोधी थे.

Q. भीड़ देख कर नेताओं के चेहरे खिल जाते हैं. जेपी इनसे अलग थे क्या ?

एक बार की बात है कि धनबाद की सभा से जेपी लौटे थे. पटना के कदमकुआं में मैं उनसे मिलने गया. मैंने देखा कि वह चिंतित थे. पूछने पर वे बोले कि सभाओं में भीड़ बढ़ती जा रही है. इन कंधों पर विश्वास बढ़ता जा रहा है. जेपी इस भीड़ के बढ़ने से अपने दायित्वबोध से चिंतित थे.

Q. जेपी के समकक्ष किसी नेता को खड़ा पाते हैं क्या आप?

भारत ही नहीं पूरे संसार में ऐसा कोई व्यक्तित्व नहीं है, जिन्हें जयप्रकाश नारायण के समकक्ष खड़ा किया जा सके. वे चाहते तो देश के सबसे शिखर पद पर आसीन हो जाते. सत्ता ने उनको प्रभावित नहीं किया.

Q. जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा क्यों दिया ?

देश की व्यवस्था कैसी हो, इसे लेकर जेपी चिंतित रहते थे. इसी कारण उन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया. राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक विकास की उनकी परिकल्पना थी. इसी कारण उन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया.

Q. क्या जेपी सिर्फ राजनेता थे? उनमें और क्या-क्या आप देखते हैं?

देखिए. बिहार में जब अकाल पड़ा, तब जेपी ने एक संस्था के रूप में काम किया. सरकार से बेहतर प्रबंधन और आयोजन किया. वे बहुत बड़े विचारक थे. खादी ग्रामोद्योग से रोजगार उनकी ही सोच थी.

Q. जेपी भोजपुरी खूब बोलते थे. ऐसा कोई संस्मरण ?

हां. एकबार की बात है. अंग्रेजी और मराठी के पत्रकार पटना में उनसे साक्षात्कार लेने आये थे. मैं कदमकुआं पहुंचा. मेरे पहुंचते ही उन्होंने पूछा कि ‘का हाल बा. गांव में पानी भइल बा कि ना’. तब अंग्रेजी के पत्रकार ने उनसे अंग्रेजी में पूछा इन व्हिच लैंग्वेज यू आर टॉकिंग. उन्हाेंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- मदर टंग. ’

Q. अनुयायियों ने खुद में जेपी को कितना बचा रखा है ?

जेपी के निधन के बाद उनके अनुयायी बिखर गये. इस बिखराव का असर हुआ. उस आंदोलन को सही रूप में कोई खड़ा नहीं कर सका. लेकिन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला सशक्तीकरण और पंचायतों में आरक्षण देकर जेपी की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है.

Q. आंदोलन की कौन-सी स्मृति आप नहीं भूल पाते?

आठ अप्रैल को निकला मौन जुलूस अद्भुत था. बिल्कुल शांतिपूर्ण. सभी के मुंह व हाथ दोनों बंधे थे. क्रांति का वो नजारा आज भी नहीं भूलता. सड़कों पर जनसैलाब, मगर कहीं से कोई आवाज नहीं थी. सत्ता हिल गयी थी. मौन क्रांति का व्यापक असर हुआ था.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel