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Dhanbad News : सतर्कता के बल ही साइबर फ्रॉड से बचाव संभव, किसी से भी निजी जानकारी साझा नहीं करें : डीएसपी

धनबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रभात खबर के अभियान में शामिल पुलिस पदाधिकारियों ने साइबर क्राइम के खतरे से आगाह किया, तो बचाव का रास्ता भी बताया

Dhanbad News : साइबर क्राइम के खिलाफ प्रभात खबर के जनांदोलन का गवाह शुक्रवार को एट लेन स्थित धनबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (डीआइटी) संस्थान बना. यहां आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में साइबर सेल के डीएसपी संजीव कुमार व साइबर थाना प्रभारी अक्षय कुमार राम शामिल हुए. अधिकारीद्वय ने इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों के साथ साइबर क्राइम से जुड़ी जानकारियां साझा कीं, तो फ्रॉड से बचाव के टिप्स भी दिये. मौके पर साइबर डीएसपी संजीव कुमार ने कहा कि अपराध कई तरह के होते हैं. अधिकतर अपराध सामने से होते हैं और आप अपराधी को देखते या पहचानते हैं, लेकिन साइबर अपराध इससे अलग है. इसमें अपराधी को पीड़ित देख नहीं पाता. उन्होंने कहा कि अनजाने में या झांसे में आकर हम खुद साइबर अपराधी को ऐसी जानकारियां दे देते हैं और उसके आधार पर खुद को शिकार बना देते हैं. इसलिए यह याद रखें कि सतर्कता ही साइबर फ्रॉड से बचाव है. इस मौके पर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन प्रेम प्रकाश, प्राचार्य राजेंद्र राज, रूबी, अंकिता बच्चन आदि मौजूद थे. पढ़ें किसने क्या कहा और कौन-कौन से सुझाव सामने आये.

प्रलोभन वाले संदेश और लिंक से बचे :

साइबर डीएसपी श्री कुमार ने बताया कि कोई भी वित्तीय कंपनी किसी तरह की निजी जानकारी नहीं मांगती. इसलिए किसी को कोई जानकारी ना दें. इसके बाद भी अगर साइबर फ्रॉड होता है, तो तुरंत टॉल फ्री नंबर 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत रजिस्टर करायें. शिकायत के आधार पर ठगी की राशि तत्काल होल्ड कर दी जायेगी. डीएसपी ने एपीके फाइल के माध्यम से हो रही ठगी की जानकारी देते हुए कहा कि यदि आप अपने मोबाइल पर आने वाले लुभानेवाले मैसेज को खोलते हैं, तो तत्काल एपीके फाइल अपलोड हो जायेगी. इससे आपके मोबाइल की पूरी जानकारी साइबर अपराधियों के पास चली जायेगी और फिर वो जैसे चाहेंगे वैसे माेबाइल का इस्तेमाल करेंगे, इसलिए भूल कर भी किसी अनजान मैसेज को क्लिक नहीं करें.

पुलिस डिजिटल अरेस्ट नहीं करती :

साइबर थाना प्रभारी अक्षय कुमार राम ने बताया कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ी है, वैसे-वैसे साइबर अपराध के तौर-तरीके बदले हैं. कई बार आपके मोबाइल पर फोन आता है और फोन करने वाला व्यक्ति आपको किसी भी तरीके से बरगलाता है. कभी सड़क दुर्घटना में परिचित के घायल होने, तो कभी कुछ और कहकर झांसे में लेता है. इस चक्कर में ना पड़ें. श्री राम ने बताया कि पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती. उसके लिए लोगों का होना जरूरी है. अभी हाल के दिनों में इस तरह की कई घटनाएं आयी हैं, जिसमें कहा जाता है कि आपके परिजन को अरेस्ट कर लिया गया है. फिर साइबर अपराधी फोन और वीडियो कॉल कर दिखाते भी हैं. यह सब बिलकुल फर्जी होता है. यह अपराधियों द्वारा बनाया गया सीन है. इससे डरे नहीं. तुरंत पुलिस से संपर्क करें.

सतर्क रहना जरूरी :

इंस्टीट्यूट के प्राचार्य राजेंद्र राज ने बताया कि आजकल सभी के मोबाइल पर फ्रॉड कॉल या मैसेज आता है. इसलिए जरूरी है कि आप स्वयं अपनी सतर्कता से ठगी से बचे. उन्होंने एक घटना का जिक्र कर बताया कि कैसे उनके एक परिचित के पास फोन आया कि उनके एक अपना आदमी घायल हो गया है. पैसे की मांग की गयी. संबंधित व्यक्ति ने पैसे भी निकाल लिये, पर देने से पहले अपने उस व्यक्ति को फोन किया, जिसे घायल बताया गया था, तो पता चला कि वह तो ठीक है. इसके बाद उन्होंने उक्त साइबर अपराधी की शिकायत पुलिस से की.

प्रोजेक्टर पर दिखाया गया बचाव का तरीका :

साइबर थाना से आये एक्सपर्ट ने प्रोजेक्टर पर स्टूडेंट्स को साइबर ठगी से बचाव के तरीके बताये. बताया कि किस तरह से ई मेल में आने वाले मैसेज से धोखाधड़ी हो सकती है. स्पैम मेल से बचने की सलाह दी गयी. एआइ तकनीक से होने वाले धोखाधड़ी, सिम स्वैप, फिशिंग, विशिंग व स्मिशिंग से बचाव का तरीका बताया गया. इसके अलावा डिजिटल अरेस्ट, ओटीपी, और सोशल साइट के इस्तेमाल की भी जानकारी दी गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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