बताते चले कि एनजीओ के बिल देने के बाद नगर अायुक्त ने जांच का आदेश दिया है. सुपरवाइजर अपने स्तर से जांच कर रहे हैं. सुपरवाइजर की जांच रिपोर्ट के बाद पार्षद व संबंधित अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी भी जांच करेंगे. इसके बाद मुख्यालय स्तर से जांच होगी. सभी जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद संबंधित एनजीओ का भुगतान होगा.
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डोर टू डोर के यूजर नेम में मिल रही गड़बड़ी
धनबाद: डोर टू डोर के यूजर नेम में भारी पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है. यूजर का नाम है लेकिन उनके घर से डोर टू डोर कचरा नहीं उठता. कुछ ऐसे यूजर भी हैं जिनके घर माह में एक बार ही कचरा उठाने वाला कर्मी आया. यह गड़बड़ी प्राय: अंचल में देखी जा रही है. […]
धनबाद: डोर टू डोर के यूजर नेम में भारी पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है. यूजर का नाम है लेकिन उनके घर से डोर टू डोर कचरा नहीं उठता. कुछ ऐसे यूजर भी हैं जिनके घर माह में एक बार ही कचरा उठाने वाला कर्मी आया. यह गड़बड़ी प्राय: अंचल में देखी जा रही है. खास तौर पर झरिया व सिंदरी अंचल में अधिक गड़बड़ी की शिकायत मिल रही है. प्रथम चरण की जांच में इस तरह के मामले आ रहे हैं.
क्या है मामला : स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर आनन-फानन में डोर टू डोर सर्विस शुरू की गयी. 11 एनजीओ से करार हुआ. 34.50 रुपये प्रति हाउस होल्ड पर एग्रीमेंट हुआ. 15 दिसंबर 2016 से काम शुरू हुआ. 11 एनजीओ के बीच 55 वार्ड बांट दिये गये. प्रत्येक एनजीओ को निगम की ओर से ठेला गाड़ी दी गयी. पिछले दिनों एनजीओ ने डेढ़ माह का 28 लाख का बिल निगम को सौंपा है. बिल में गड़बड़ी की आशंका पर नगर आयुक्त ने जांच का आदेश दिया.
14 मार्च तक है एनजीओ का एग्रीमेंट : 14 मार्च तक डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए एनजीओ से एग्रीमेंट है. 14 मार्च के बाद स्वत: एनजीओ का एग्रीमेंट रद्द हो जायेगा. निगम सूत्रों की मानें तो नये सिरे से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की योजना बनेगी. किसी बड़ी कंपनी को डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की बागडोर सौंपी जा सकती है. यूजर चार्ज वसूलने के लिए भी जल्द टेंडर निकाला जायेगा.
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