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बीसीसीएल. 87,57,00,000 रुपये का हुआ नुकसान

धनबाद: हरि अनंत, हरि कथा अनंता की तरह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बीसीसीएल में भ्रष्टाचार की कथा का भी कोई अंत नहीं दिखता. जहां नजर दौड़ायें, वहीं गड़बड़ी-लूट-घोटाला-भ्रष्टाचार दिख जायेगा. मिनी रत्न कंपनी बीसीसीएल के चांच विक्टोरिया एरिया (सीवी) के एक आउटसोर्सिंग कार्य में 87,57,00,000 रुपये की गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है. यहां […]

धनबाद: हरि अनंत, हरि कथा अनंता की तरह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बीसीसीएल में भ्रष्टाचार की कथा का भी कोई अंत नहीं दिखता. जहां नजर दौड़ायें, वहीं गड़बड़ी-लूट-घोटाला-भ्रष्टाचार दिख जायेगा. मिनी रत्न कंपनी बीसीसीएल के चांच विक्टोरिया एरिया (सीवी) के एक आउटसोर्सिंग कार्य में 87,57,00,000 रुपये की गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है.

यहां एक ही आउटसोर्सिंग कार्य कर रही एक ही कंपनी को पहले फॉर-क्लोज करने और फिर दोबारा टेंडर निकालकर उसी कंपनी को 14.85 प्रतिशत हाई रेट पर काम दिया गया. इससे आउटसोर्सिंग कंपनी को कितनी अतिरिक्त कमाई हुई और कमाई में बीसीसीएल के किन-किन अधिकारियों को शेयर मिला, यह तो जांच कर विषय है, लेकिन एक बात तो साफ है कि बीसीसीएल को करीब 87.57 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा.

क्या है मामला : बताते हैं कि वर्क ऑर्डर नंबर 509, दिनांक 14/19.12.2012 के तहत बीसीसीएल के सीवी एरिया के चपटोरिया ओसी ऑफ दमागोड़िया कोलियरी पैच से मेसर्स महालक्ष्मी इंफ्राकॉन्ट्रैक्ट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को ओबी व कोयला निकासी के लिए 145,86,80,000 रुपये का कार्य आवंटित किया गया था. एनआइटी के मुताबिक मेसर्स महालक्ष्मी को 202.40 लाख क्यूबिक मीटर ओबी, 14.50 ढ़ीला ओबी, 20.90 लाख एमटी झामा और 26.80 लाख एमटी कोयला की निकासी व ट्रांसपोर्टिंग का कार्य दिसंबर, 2016 तक पूरा करना था. मेसर्स महालक्ष्मी ने ओसी पैच से अभी 70.53 लाख क्यूबिक मीटर ओबी, 3.36 ढीला ओबी और 15.65 लाख एमटी झामा व कोयला की ही निकासी की थी, तभी अचानक 14 मई, 2014 को उसके कार्य को फॉर-क्लोज कर दिया गया. तर्क दिया गया कि मेसर्स महालक्ष्मी को आवंटित कार्य के एनआइटी में हाई पावर कमेटी (एचपीसी) का वेज (मजदूरी) नहीं जुड़ा है.
98.63 करोड़ का कार्य 186.20 करोड़ में
बताते हैं कि मेसर्स महालक्ष्मी के कार्य को 14 मई, 2014 को जब फॉर-क्लोज किया गया, तब तक किये गये कार्य के लिए मेसर्स महालक्ष्मी को 47.23 करोड़ का भुगतान किया गया था. एनआइटी के मुताबिक मेसर्स महालक्ष्मी को और 98.63 करोड़ रुपये में 131.87 लाख क्यूबिक मीटर ओबी, 11.14 ढ़ीला ओबी और 32.05 लाख एमटी झामा व कोयला निकासी का कार्य करना था. शेष बचे 98.63 करोड़ के कार्य के लिए जनवरी, 2015 में बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा दोबारा टेंडर निकाला गया. वर्क ऑर्डर नंबर 35, दिनांक 28.01.2015 के तहत पुन: इस कार्य को 186.20 करोड़ में मेसर्स महालक्ष्मी को ही आवंटित कर दिया गया. यानी की करीब-करीब दोगुनी राशि पर. पुराने व नये आवंटित कार्य और उसकी राशि की तुलना करने पर बीसीसीएल को 87.57 करोड़ का नुकसान होता दिख रहा है.
हो सकता था अतिरिक्त भुगतान
यह तर्क कि फॉर क्लोज किये गये मेसर्स महालक्ष्मी के आउटसोर्सिंग कॉन्ट्रैक्ट में हाई पावर वेज का जिक्र नहीं था, कहीं से गले नहीं उतरता. आधिकारिक सूत्रों की माने तो एलओए (लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस) में मेसर्स महालक्ष्मी की सहमति ली गयी थी कि अगर वह कार्य के दौरान मजदूरों को एचपीसी द्वारा निर्धारित वेज के हिसाब भुगतान करता है तो आउटसोर्सिंग कंपनी को जो अतिरिक्त खर्च आता, उसका भुगतान बीसीसीएल की ओर से किया जायेगा. इसकी मंजूरी कोल इंडिया प्रबंधन से भी मिल चुकी थी. बावजूद इसके वेज मद की राशि के अतिरिक्त भुगतान के बजाय फॉर-क्लोज और फिर हाई रेट में उसी कार्य के शेष हिस्से को देने के पीछे की मंशा समझी जा सकती है.

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