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सेंट्रल अस्पताल. कोलकर्मी की मौत पर हंगामा, तोड़फोड़
धनबाद : सूचना पाकर सीआइएसएफ जवान व अस्पताल के गार्ड पहुंचे. इसके बाद जवानों के साथ परिजनों की धक्का-मुक्की होने लगी. काफी देर हंगामा होने के बाद मामला शांत हुआ. घटना के बाद काफी संख्या में सीआइएसएफ व पुलिस के जवान पहुंचे. क्या है मामला : पेट दर्द की शिकायत पर 27 नवंबर की शाम […]
धनबाद : सूचना पाकर सीआइएसएफ जवान व अस्पताल के गार्ड पहुंचे. इसके बाद जवानों के साथ परिजनों की धक्का-मुक्की होने लगी. काफी देर हंगामा होने के बाद मामला शांत हुआ. घटना के बाद काफी संख्या में सीआइएसएफ व पुलिस के जवान पहुंचे.
क्या है मामला : पेट दर्द की शिकायत पर 27 नवंबर की शाम 5.40 बजे नव कुमार को सेंट्रल अस्पताल के आइसीयू में भरती कराया गया. उसे 28 नवंबर को रेफर करने की बात थी. डॉक्टरों ने इसके लिए कागजात तैयार कर दिये, लेकिन इसके बाद भी कागज इस टेबल से उस टेबल घूमता रहा. मृतक के भाई राजू सिन्हा ने बताया कि पर्सनल डिपार्टमेंट से कागज नहीं पास किया जा रहा था. इसके लिए दो दिनों से दौड़ाया जा रहा. बुधवार की सुबह आठ बजे भाई की स्थिति काफी बिगड़ गयी. आनन-फानन में डॉक्टरों ने दवा व सूई देनी शुरू की. इसके बाद 10.10 बजे मरीज ने दम तोड़ दिया. इससे परिजन आक्रोशित हो गये और आइसीयू में तोड़फोड़ करने लगे. जवानों ने नव कुमार के बेटे शुभम, दामाद निर्मल कुमार सिन्हा, भाई राजू सिन्हा को हिरासत में ले लिया. मामला शांत होने पर दोपहर एक बजे तीनों को छोड़ा गया. इसके बाद शव लेकर परिजन घर रवाना हो गये.
अनफिट के लिए खर्च कर दिये दो लाख रुपये
परिजनों ने बताया कि नव कुमार ने दो वर्ष पूर्व कोलकाता में दाहिने घुटने का ऑपरेशन कराया था. इसके बाद वह काफी मुश्किल से चल पाते थे. इस कारण दो वर्ष से ड्यूटी पर नहीं जा पा रहे थे. वेतन भी नहीं मिल रहा था. उन्होंने अनफिट के लिए आवेदन दिया था, इसके लिए अबतक दो लाख रुपये खर्च कर दिये. लेकिन कुछ नहीं हुआ.
तीन बार दिखाया, तीनों बार बतायी अलग बीमारी
राजू ने बताया कि नव कुमार को तीन बार सेंट्रल अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था. लेकिन यहां के डॉक्टरों ने तीनों बार अलग-अलग बीमारी बतायी. कुछ माह पूर्व बीमार होने के बाद यहां लाया गया था, तब डॉक्टरों ने टाॅयफाइड बताया था. दूसरी बार पित की थैली में पथरी बताया. 27 नवंबर को जब लाया गया, तक डाॅक्टरों कोई कारण नहीं बताया. एक ने बताया था कि किडनी में इंफेक्शन है.
छोटी बेटी की शादी नहीं करा पाये
नव कुमार की पांच बेटियां व एक बेटा है. चार बेटियों की शादी हो चुकी है. छोटी बेटी सोनम की शादी की बात चल रही थी. पिता का अरमान था कि अपनी आंखों के सामने छोटी बेटी की शादी करा दूं. लेकिन यह नहीं हो सका. बेटा शुभम 12वीं का छात्र है.
बड़ा हॉस्पिटल समझ कर आये थे, पर सबकुछ लूट गया
नव कुमार की पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है. वह बार-बार अस्पताल को कोस रही थी. कहा कि बड़ा हॉस्पिटल समझकर यहां इलाज करवा रहे थे, लेकिन नहीं पता था कि मेरा सबकुछ लुट जायेगा. पिता की लाश देख बेटियां भी बदहवास रहीं.
सेप्टीसीमिया के कारण मौत
इलाज कर रहे चिकित्सकों ने बताया कि नव कुमार को बुखार के साथ कई और कंप्लिकेशन हो रहे थे. फिवर के कारण शरीर में विष फैल गया, इससे सेप्टीसीमिया हो गया. जो संभवत: मौत का
कारण बना.
प्लान के तहत हंगामा : प्रबंधन
सेंट्रल अस्पताल के पदाधिकारी डॉ एस गोलाश ने बताया कि लापरवाही की बात गलत है. रेफर के लिए कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल का कागज बनाया गया था. लेकिन परिजन बाहर नहीं ले जाना चाह रहे थे. अनुकंपा पर नौकरी मिले, इसके लिए परिजनों ने प्लान के तहत हंगामा किया. आइसीयू में पल्स ऑक्सीमीटर और टेबल-कुर्सियां तोड़ दी गयीं. समय पर सुरक्षा जवानों को नहीं बुलाया गया होता, तो बड़ी क्षति होती.
लापरवाही का आरोप गलत
मरीज नव कुमार सिन्हा को फोर्टिस अस्पताल कोलकाता रेफर कर दिया गया था. कागजी प्रक्रिया पूरी करने में समय लगता है. इसको देखते हुए अस्पताल के सीएमएस ने मरीज के परिजनों को फोर्टिस ले जाने के लिए कहा था. लेकिन, परिजन कागजी प्रक्रिया पहले पूरी करने की जिद पर अड़े हुए थे. जबकि टेलीफोनिक मैसेज के जरिये कोलकाता में इलाज की व्यवस्था करायी गयी थी. इसलिए बीसीसीएल प्रबंधन पर रेफर करने में लापरवाही का आरोप गलत है.
आरआर प्रसाद, डीजीएम (जन संपर्क विभाग), बीसीसीएल
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