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कोल उत्खनन में नयी तकनीक जरूरी

धनबाद: खनन के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं विश्व स्तर पर भी स्थिति निराशाजनक है. कर्नाटक तथा ओड़िशा में बंद खदानों के लिए सिर्फ जूडिशियल व फॉरेस्ट को जिम्मेवार ठहराना ठीक नहीं. हमारी तकनीकी व प्रबंधकीय अक्षमता भी इसके लिए कम जिम्मेवार नहीं है. ये बातें आइएसएम के पूर्व निदेशक प्रो एसपी बनर्जी […]

धनबाद: खनन के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं विश्व स्तर पर भी स्थिति निराशाजनक है. कर्नाटक तथा ओड़िशा में बंद खदानों के लिए सिर्फ जूडिशियल व फॉरेस्ट को जिम्मेवार ठहराना ठीक नहीं. हमारी तकनीकी व प्रबंधकीय अक्षमता भी इसके लिए कम जिम्मेवार नहीं है.

ये बातें आइएसएम के पूर्व निदेशक प्रो एसपी बनर्जी ने कही. वह ‘नयी पद्धति : प्रबंधन एवं तकनीकी एकरूपता’ विषय पर गोल्डल जुबली हॉल में आयोजित छठा मिनरल कांग्रेस 2014 संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कोल उत्खनन में नयी तकनीक अपनाने पर विशेष जोर डाला. नेशनल जियोफिजिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक पद्मश्री डॉ वीवी डिमरी ने भी खनन के क्षेत्र में नयी पद्धति अपनाने तथा बीसीसीएल के सीएमडी टीके लाहिड़ी ने कोयला उत्खनन के क्षेत्र में आयी बदलाव पर चर्चा की. संगोष्ठी को डीसी पाणीग्रही, डीजीएमएस के निदेशक राहुल गुहा, विभागाध्यक्ष सिविल इंजीनियरिंग बीसी सरकार, संयोजक पीएस मिश्र तथा डॉ.सोमनाथ चटर्जी ने भी संबोधित किया.

इसके पूर्व संगोष्ठी का उद्घाटन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया. निदेशक (एक्सप्लोरेशन) ऑयल इंडिया लिमिटेड बीएन तलुकदार ने स्वागत भाषण दिया. आयोजन बीसीसीएल, डीजीएमएस तथा सिंफर के सहयोग से हुआ. मौके पर संस्थान द्वारा प्रबंधन व तकनीकी क्षेत्र में की गयी रिसर्च पर छात्रों ने प्रदर्शनी भी लगायी थी.

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