यू टर्न. हाइकोर्ट में याचिकाकर्ता ने लिया बिना शर्त केस वापस
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अब माडा के सहायकों के वेतन में होगी कटौती
यू टर्न. हाइकोर्ट में याचिकाकर्ता ने लिया बिना शर्त केस वापस माडा के सहायकों को अब सचिवालय सहायकों के समतुल्य वेतन नहीं मिल पायेगा. माडा के तीन सहायकों द्वारा अपनी पूरक याचिका बिना शर्त वापस लेने के बाद यह नौबत आयी. इस फैसले के मद्देनजर कुछ माडा कर्मियों ने प्रबंधन को एक ज्ञापन देकर वेतन […]
माडा के सहायकों को अब सचिवालय सहायकों के समतुल्य वेतन नहीं मिल पायेगा. माडा के तीन सहायकों द्वारा अपनी पूरक याचिका बिना शर्त वापस लेने के बाद यह नौबत आयी. इस फैसले के मद्देनजर कुछ माडा कर्मियों ने प्रबंधन को एक ज्ञापन देकर वेतन मद में दी जा रही अतिरिक्त राशि पर रोक लगाने तथा उनसे बकाये की भरपाई की मांग की है.
धनबाद : माडा सहायकों मुस्ताक अली, दिनेश सोरेन तथा शशि शेखर ने वेतनमान के सिलसिले में 22 फरवरी 2016 को एक पूरक याचिका दायर की थी. इस याचिका (डब्ल्यूपीएस केस संख्या 312-2010) सहायक मुस्ताक अली, दिनेश सोरेन तथा शशि शेखर बनाम एमडी माडा व राज्य सरकार के मामले में अपनी हार होते देख इन याचिकाकर्ताओं ने अपना केस बिना किसी शर्त के 4.5.2016 को वापस ले लिया. फलत: अब माडा के सहायकों को 1.1. 1996 से मिल रहा सचिवालय स्तर के सहायकों का वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए मुफस्सिल के सहायकों के समतुल्य का वेतन ही मिल पायेगा. यह जानकारी माडा एमडी अनिल पांडेय ने दी.
क्या है मामला : माडा में सहायकों का वेतन 1.1.1996 से सचिवालय के समतुल्य कर दिया गया था. प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ कुछ कर्मियों की ओर से कोर्ट में दायर की गयी याचिका के आलोक में सरकार ने 23.12.2009 को आदेश जारी कर सहायकों का वेतन मुफस्सिल कर्मियों के समतुल्य करने का आदेश दिया था. लेकिन माडा प्रबंधन ने मामले को लंबित रहा. इसी मामले में तीन सहायकों ने वर्ष 2010 में मामले मामले को ले हाइ कोर्ट में पूरक याचिका दायर की थी.
फैसला अपने खिलाफ जाते देख 4.5.2016 को बिना किसी शर्त के तीनों सहायकों ने अपना केस वापस ले लिया. यह केस न्यायाधीश रंजन मुखोपाध्याय के कोर्ट से वापस हुआ है. केस वापसी के साथ ही अब सरकार का वह आदेश प्रभावी हो गया है कि माडा के सहायकों का वेतन मुफस्सिल के सहायकों के समतुल्य होगा.
प्रबंधन का नया द्वंद्व : 1.1.1996 से ली गयी राशि की भरपाई भी संबंधित सहायकों के वेतन से ही करनी होगी, जो लाखों में होगी. इस मामले को लेकर माडा के सहायकों में खलबली मच गयी है. विदित हो कि इस अतिरिक्त लाभ को लेने वाले काफी सहायक अब सेवा निवृत्त हो चुके हैं. प्रबंधन इस बात को लेकर चिंतित है कि उनके पास से संबंधित राशि कैसे वापस होगी.
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