धनबाद/ रांची: धनबाद से रांची को जोड़ने वाली एनएच 32 की बदहाली पर आज हाइकोर्ट ने विभाग को खरी-खरी सुनायी. कोर्ट ने साफ कहा कि अगर राज्य सरकार सड़क बनाने में अक्षम है तो कोर्ट सेना को सड़क बनाने का निर्देश दे सकती है. सोमवार को एनएच-32 की मरम्मत व निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सरकार के जवाब पर असंतोष प्रकट किया. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए फटकार लगायी. कहा कि सरकार वैसी एजेंसी का चुनाव क्यों करती है, जो काम करना ही नहीं चाहती है. केंद्र सरकार के पैसे से सड़क बननी है. इसके बावजूद सड़क बन नहीं पा रही है. जनता सफर कर रही है. अधिकारी स्पष्ट जवाब नहीं दे सकते.
सचिव की कार्यक्षमता पर सवाल : कोर्ट ने कहा : ऐसा प्रतीत होता है कि पथ निर्माण विभाग की सचिव सक्षम नहीं है. यदि सरकार सड़क नहीं बनवा सकती है, तो कोर्ट सेना के सहयोग से सड़क बनाने का निर्देश दे सकती है. खंडपीठ ने पथ निर्माण विभाग के सचिव को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि कितने समय-सीमा में निर्माण कार्य पूरा होगा.
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता जगन्नाथ महतो ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुधीर महतो ने जनहित याचिका दायर कर एनएच-32 के शीघ्र मरम्मत व निर्माण कराने के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.