धनबाद: लाखों खर्च कर लोग जमीन या फ्लैट खरीदते हैं. रजिस्ट्री कराने में भी उन्हें चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है. बिना घूस फाइल सरकती ही नहीं. रजिस्ट्री में जमीन या फ्लैट की कीमत का सात प्रतिशत लगता है. चार प्रतिशत स्टांप पेपर के व तीन प्रतिशत फीस है, जो कैश में लिया जाता है. लेकिन हर टेबल पर चढ़ावा चढ़ाते-चढ़ाते यह रकम बारह प्रतिशत के लगभग हो जाती है. इसके बाद डीड राइटर को अलग से फीस देनी पड़ती है. पिछले दिनों रांची के एक समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि निबंधन कार्यालय में बिना घूस कोई काम नहीं होता. रजिस्ट्री विभाग की अराजक स्थिति से लोग त्रहि-त्रहि कर रहे हैं.
बंधी है रकम : साहब से लेकर चपरासी तक की घूस बंधी हुई है. 20 लाख के फ्लैट की रजिस्ट्री पर साहब को दस हजार, बड़ा बाबू, छोटा बाबू व चपरासी की अलग-अलग प्रतिशत तय है. यहां घूस लेने का तरीका भी जरा हट कर है. साहब से लेकर चपरासी तक का पैसा एक ही बाबू लेते हैं. लेकिन उनकी डय़ूटी रोज बदलती रहती है. आज इस बाबू की बारी तो कल उस बाबू की.