धनबाद: राज्य गठन के बाद छात्रों की सुविधा को देखते हुए रांची विश्वविद्यालय को विभाजित कर कई नये विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई, लेकिन धनबाद में नहीं. अपना अस्तित्व का ख्याल रखते हुए विभावि भी नहीं चाहता कि धनबाद में विश्वविद्यालय बने.
हाल विभावि का
रांची विश्वविद्यालय से अलग हो विभावि की स्थापना के बीस साल से ऊपर हो गये. लेकिन, अब-तक इस विश्वविद्यालय के लिए शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मियों का पद तक स्वीकृत नहीं हो सका है. विभिन्न कॉलेजों के कर्मियों से चल रहा है इस विश्वविद्यालय का काम, पद स्वीकृत न होने से कर्मी काफी नाराज हैं. कई कर्मी तो लाभ की प्रतीक्षा करते-करते सेवानिवृत्त हो गये और कई नंबर में हैं. लाभ न मिलने के कारण कर्मी काम के प्रति भी उदासीन हैं.
नहीं मिल रही मैन पावर की मदद
लगातार सेवानिवृत्ति व नयी नियुक्ति न होने से मैन पावर के अभाव में विश्वविद्यालय की स्थिति दिन प्रतिदिन नाजुक होती जा रही है. कॉलेज में मैनपावर का अभाव रहने के कारण अब कॉलेज से भी मैनपावर विवि भेजने की स्थिति नहीं है.
स्नातक के आधार पर पीजी की सेवा
पीजी का पद स्वीकृत न रहने के कारण विश्वविद्यालय से लेकर कॉलेज तक स्नातक के आधार पर पीजी की सेवा देने वाले शिक्षक आगे और सेवा देने से आनाकानी करने लगे हैं.