श्री अंसारी ने कहा कि 30 दिसंबर 2012, 30 जनवरी 2014 और 26 फरवरी 2014 को बोर्ड की बैठक में शामिल नहीं हो पाया था. चूंकि बोर्ड की बैठक में पहले एक झूठे मुकदमे में विरोधियों ने फंसा दिया था जिसके चलते मुङो अज्ञातवास में रहना पड़ा.
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा क्लीन चिट दे दिया गया. 26 फरवरी 2014 के बोर्ड से पहले अचानक मेरी मां की तबीयत बहुत ही खराब हो गयी, जो अभी कैंसर से पीड़ित है. इसकी सूचना लिखित रुप में 25 फरवरी को नगर आयुक्त को दिये थे. लगातार बोर्ड की तीन बैठक में उपस्थित नहीं रहने से चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है, ऐसी कोई बात निगम बोर्ड द्वारा नहीं बतायी गयी. अगर एक्ट था तो क्यों नहीं उस समय पार्षद से आयोग्य किया गया. मुङो अभी तक पार्षद का मानदेय मिला है. अगर आयोग्य किया गया तो फिर मानदेय क्यों दिया गया. यह पूरी तरह विरोधियों की साजिश है.