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बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे मालवीय : प्रो सिंह

धनबाद. बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे महामना मदन मोहन मालवीय. वह जितने अच्छे शिक्षक थे, उतने ही अच्छे इंजीनियर, अधिवक्ता व पत्रकार. मालवीय जी का मानना था कि भारत केवल कृषि प्रधान देश नहीं है. कभी विदेशी बाजार इसके ग्लोबल गुड्स से चमकते थे. विदेशी बाजार में 33 प्रतिशत भारतीय गुड्स तथा 27 प्रतिशत चीन […]

धनबाद. बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे महामना मदन मोहन मालवीय. वह जितने अच्छे शिक्षक थे, उतने ही अच्छे इंजीनियर, अधिवक्ता व पत्रकार. मालवीय जी का मानना था कि भारत केवल कृषि प्रधान देश नहीं है. कभी विदेशी बाजार इसके ग्लोबल गुड्स से चमकते थे. विदेशी बाजार में 33 प्रतिशत भारतीय गुड्स तथा 27 प्रतिशत चीन का कब्जा हुआ करता थे. भारत जन्म से गरीब नहीं, उसे बनाया गया है. ब्रिटेन व अमेरिका अगर धनी हैं तो भारत के कारण. भारत अगर गरीब है तो ब्रिटेन व अमेरिका के कारण.

ये बातें लखनऊ विश्वविद्यालय, रिवा विश्वविद्यालय तथा राजश्री टंडन ओपेन विश्वविद्यालय इलाहाबाद के कुलपति रह चुके प्रो. डीपी सिंह ने कही. वह गुरुवार को आइएसएम के मैनेजमेंट स्टडी विभाग की ओर से महामना मालवीय लेक्चर सीरीज के तहत ह्य मालवीय जी एड फादर ऑफ इंजीनियरिंग एजुकेशन इन इंडिया ह्य विषय पर संस्थान के गोल्डेन जुबली हॉल में आयोजित व्याख्यानमाला को बतौर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि मालवीय के अनुसार तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ कर ही देश का आर्थिक विकास संभव है. इसे शिक्षा में उतारने के लिए ही मालवीय जी ने 1916 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना की और यहां सबसे पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करायी. भारत रत्न मिलने से वह नहीं, हुए बल्कि यह पद सम्मानित हुआ. पत्रकारिता का क्षेत्र भी उनकी उपलब्धियों से भरा पड़ा है. गरीब परिवार में जन्मे मालवीय जी ने भिक्षाटन कर शिक्षा के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की है, उसकी मिसाल पूरे विश्व में नहीं.

150 भारतीयों को फांसी से बचाया : अधिवक्ता के रूप में उनकी उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बताया कि गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में ब्रिटिश हुकूमत ने 170 देशवासियों को फांसी की सजा सुनायी थी. मालवीय जी ने केस अपने हाथ ले कर उसमें से 150 भारतीयों को फांसी की सजा से मुक्ति दिलायी थी. महामना का मानना था कि इतिहास जाने बिना वर्तमान नहीं सुधर सकता. प्रो सिंह ने कहा कि स्कूल-कॉलेजों के कोर्स में महामना की जीवनी को जरूरी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि छात्र-छात्रओं को प्रेरणा मिले.
विश्व के लिए प्रेरणा स्नेत : मौके पर आइएसएम चेयरमैन प्रो डीडी मिश्र ने कहा महामना मालवीय ने शिक्षा के क्षेत्र में जो उपलब्धियां अर्जित की है वह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा स्नेत है. देश में शिक्षा के क्षेत्र में आयी गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें सुधार की बड़ी जिम्मेवारी आइएसएम व आइआइटी जैसे संस्थानों के ऊपर है. प्रो. मिश्र ने भी महामना के जीवन मूल्यों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. व्याख्यानमाला को निदेशक प्रो डीसी पाणिग्रही, प्रो. उदयभानु व प्रो प्रमोद पाठक ने भी संबोधित किया.

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