वह उद्योग विरोधी नहीं हैं, लेकिन भूमि अधिग्रहण कानून का वर्तमान स्वरूप आम लोग व किसानों के हित में नहीं है. डीवीसी कोल इंडिया के लिए जिनकी जमीन अधिग्रहण किया गया, उसके विस्थापित लोग आज भी भटक रहे हैं. हजारों रैयतों को न नौकरी मिली न ही मुआवजा. कृषि योग्य जमीन का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए. अगर अति आवश्यक हो तो पहले संबंधित किसानों का पुनर्वास व रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के बाद ही जमीन का अधिग्रहण किया जाना चाहिए.
Advertisement
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश नहीं लागू होने देंगे: मरांडी
धनबाद: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को यहां भाजपा व केंद्र-राज्य सरकारों पर जम कर निशाना साधा और जनता से एकजुट होकर विरोध का आह्वान किया. न्याय यात्र के तीसरे चरण में वह यहां गांधी सेवा सदन में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इसके पहले बाबूलाल के […]
धनबाद: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को यहां भाजपा व केंद्र-राज्य सरकारों पर जम कर निशाना साधा और जनता से एकजुट होकर विरोध का आह्वान किया. न्याय यात्र के तीसरे चरण में वह यहां गांधी सेवा सदन में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इसके पहले बाबूलाल के नेतृत्व में डीआरएम चौक से रणधीर वर्मा चौक तक न्याय यात्र निकाली गयी.
सरकार गरीब विरोधी
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाजपा संविधान व कानून विरोधी. केंद्र व झारखंड सरकार गरीब व किसान विरोधी. सरकार का कार्य आम लोगों के खिलाफ है. केंद्र व राज्य की सरकारें जनता के साथ अन्याय कर संविधान की अनदेखी कर रही है. गरीब व किसानों की जमीन व घर छीनने की तैयारी है. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसानों के खिलाफ है. झारखंड में इस कानून को लागू नहीं होने दिया जायेगा.
गांधी सेवा सदन में सभा की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष ज्ञानरंजन सिन्हा ने की. संचालन नागेंद्र शुक्ला ने किया. वक्ताओं में पूर्व मंत्री डॉ सबा अहमद, रमेश राही, सरोज सिंह, योगेंद्र यादव, रायमुनी देवी, पिंकी साहू, फातिमा अंसारी, गणपत महतो भी शामिल हैं.
स्थानीय नीति बने
झारखंड में स्थानीय नीति व नियोजन नीति बननी चाहिए. नियोजन नीति जब तक नहीं बन जाती है, नियुक्ति प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए. इससे झारखंड के लोगों का हक छीना जा रहा है. झारखंड की सत्ता बाहरियों के हाथ हैं, वे लोग पांच साल बाद हट सकते हैं. लेकिन एक बार किसी को नियोजन मिल गया तो वह 30-40 वर्षो तक नौकरी करेगा. संविधान में भी प्रावधान है कि नियोजन में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. झाविमो के छह विधायकों को भाजपा में शामिल कराने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा ने संविधान की अनदेखी की. स्पीकर भाजपा के सदस्य है इसलिए वह सही निर्णय नहीं कर सकते हैं. संविधान में प्रावधान है कि अगर कोई निर्वाचित प्रतिनिधि दूसरे दल में शामिल होते हैं तो उनकी सदस्यता चली जायेगी. झारखंड विधानसभा में ऐसा नहीं हुआ. कानून व संविधान से बड़ा कोई नहीं है. भाजपा में शामिल होने वाले सभी छह विधायकों की सदस्यता जानी तय है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement