अदालत में बच्च सिंह हाजिर थे, जबकि आरोपी रामधीर सिंह गैरहाजिर थे. उनकी ओर से उनके अधिवक्ता अभय कुमार सिन्हा ने दंप्रसं की धारा 317 का आवेदन दायर कर उनके बीमार होने की पुष्टि की. अदालत ने उक्त आवेदन को खारिज करते हुए बेल बांड को रद्द कर गैर जमानती वारंट जारी किया. अदालत ने सजा के बिंदु पर सुनवाई की अगली तिथि 16 अप्रैल 15 मुकर्रर की. फैसले के वक्त बच्च सिंह के अधिवक्ता दिलीप सिंह, एपीपी ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह व सूचक के निजी अधिवक्ता सीएस प्रसाद व सहदेव महतो मौजूद थे.
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चार दशक के बाद माफिया के खिलाफ फैसला, विनोद सिंह हत्याकांड में रामधीर दोषी, बच्चा बरी
धनबाद: चर्चित विनोद सिंह व मन्नू अंसारी दोहरे हत्याकांड में गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सप्तम निकेश कुमार सिन्हा की अदालत ने बलिया (यूपी) के जिला परिषद अध्यक्ष रामधीर सिंह को भादवि की धारा 302 व आर्म्स एक्ट की धारा 27 में दोषी करार दिया. वहीं सूबे के पूर्व मंत्री बच्च सिंह को […]
धनबाद: चर्चित विनोद सिंह व मन्नू अंसारी दोहरे हत्याकांड में गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सप्तम निकेश कुमार सिन्हा की अदालत ने बलिया (यूपी) के जिला परिषद अध्यक्ष रामधीर सिंह को भादवि की धारा 302 व आर्म्स एक्ट की धारा 27 में दोषी करार दिया. वहीं सूबे के पूर्व मंत्री बच्च सिंह को भादवि की धारा 120 बी (आपराधिक षडय़ंत्र रचने ) के आरोप में निदरेष पाकर रिहा कर दिया.
15 जुलाई, 1998 को हुई थी हत्या
15 जुलाई 98 को विनोद सिंह अपनी निजी गाड़ी से सुबह साढ़े आठ बजे घर से कार्यालय जा रहे थे. तभी कतरास बाजार शहीद भगत ंिसंह चौक के पास अपराधियों ने उनकी गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें विनोद सिंह व उनके चालक मन्नू अंसारी की मौत हो गयी. घटना के बाद मृतक के भाई दून बहादूर सिंह ने कतरास थाना में बच्च सिंह, रामधीर सिंह व राजीव रंजन सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. केस के आइओ रामनाथ तिवारी ने अपना अनुसंधान पूरा कर चार आरोपित शेर बहादुर सिंह, रामधीर सिंह, बच्च सिंह व अनिल यादव के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया. इस केस में बच्च ंिसंह व रामधीर सिंह ही ट्रायल फेस कर रहे थे. तीन अप्रैल 04 को अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित किया. इस केस में अभियोजन की ओर से एपीपी ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने साक्षी दून बहादुर सिंह, सत्येंद्र सिंह, मनोज सिंह, सुधीर कुमार, देवाशीष घोषाल, डॉ उमा शंकर सिंह (तिलाटांड़),तपन कुमार, फरीदा खातून, डॉ विनोद कुमार, डॉ शैलेंद्र कुमार, आइओ रामनाथ तिवारी, सुधीर कुमार सिंह व नवल कुमार सिंह समेत 19 साक्षियों का परीक्षण कराया. सात साक्षियों ने दंप्रसं की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया.
सूरजदेव और सकलदेव में शुरू हुई थी वर्चस्व की लड़ाई
धनबाद: धनबाद के फेमस पांच देवों में शामिल सूरज देव सिंह एवं सकलदेव सिंह कभी दोस्त थे. लेकिन, धीरे-धीरे दोनों के बीच मतभेद शुरू हो गया. बाद के दिनों में दोनों परिवार के बीच दुश्मनी हो गयी. सूरज देव सिंह जहां कोयलांचल के बेताज बादशाह बन गये, वहीं सकलदेव की कतरास कोयलांचल में तूती बोलती थी. एक समय ऐसा आया जब एक वर्ष के अंदर ही पहले छोटे भाई विनोद सिंह एवं बाद में सकल देव सिंह की हत्या हो गयी. हालांकि तब सूरज देव सिंह जीवित नहीं थे. लेकिन दोनों घरानों के बीच लड़ाई जानी-दुश्मनी में बदल गयी.
एक समय था जब कोयला नगरी में सूरज देव, सकल देव, सत्य देव, नौरंग देव एवं राज देव की तूती बोलती थी. पंच देव के नाम से ये प्रसिद्ध थे. बाहरी-भीतरी की लड़ाई में ये पांचों देव बाहरी का प्रतिनिधित्व करते थे. माफिया के रूप में प्रसिद्ध इन देवों के बीच बाद में वर्चस्व को ले कर विवाद बढ़ता गया. सूरज देव सिंह एवं सकल देव सिंह के बीच भी काफी विवाद हुआ. यह अंत समय तक चला. हालांकि सूरज देव सिंह के जीवित रहते तक हत्या तक मामला नहीं पहुंचा था. सिंह मैंशन एवं सकल देव परिवार के बीच वर्ष 1998 में विवाद चरम पर पहुंच गया. 15 जुलाई 1998 को विनोद सिंह की हत्या हुई. इसमें सूरज देव सिंह के बड़े पुत्र राजीव रंजन सिंह, भाई रामधीर सिंह, बच्च सिंह नामजद अभियुक्त बने. बताया जाता है कि विनोद सिंह ने सिंह मैंशन के एक सदस्य के साथ असम्मानजनक व्यवहार किया था. यह घटना उसी की प्रतिक्रिया थी. इसके छह माह बाद ही सकल देव सिंह की हत्या भी 25 जनवरी 1999 को कर दी गयी. इसमें भी सूरज देव सिंह के बड़े पुत्र राजीव रंजन सिंह, भाई रामधीर सिंह, बच्च सिंह नामजद अभियुक्त बने. कहा गया कि सकलदेव सिंह विनोद सिंह की कानूनी लड़ाई को तेजी से अंजाम तक पहुंचा रहे थे. इसके बाद दोनों परिवारों के बीच तनातनी लगातार बनी हुई है.
सकलदेव हत्याकांड में भी बरी हो चुके हैं बच्चा सिंह : सकल देव सिंह हत्याकांड में भी आरोपी पूर्व नगर विकास मंत्रीबच्चासिंह बरी हो चुके हैं. इस मामले मेंबच्चासिंह के आवेदन पर बाकी अभियुक्तों से अलग कर ट्रायल चला. आज विनोद सिंह हत्याकांड से भीबच्चासिंह आरोप मुक्त हो गये. दोनों ही हत्याकांड मेंबच्चासिंह पर हत्या की साजिश का आरोप लगा था.
सुरेश सिंह के बेटे ने लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया
धनबाद: विनोद सिंह हत्याकांड की कानूनी लड़ाई की देखरेख कर रहे उनके बहनोई सुरेश सिंह की हत्या के बाद सुरेश सिंह के बेटे अजय सिंह उर्फ पिंटू ने कानूनी लड़ाई की कमान संभाली थी. लोअर कोर्ट से लेकर हाइ कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक अभियुक्त पक्ष के खिलाफ मजबूती से पक्ष रखने के लिए जाने-माने सीनीयर वकील को रखा था. ऊपरी अदालत ने लोअर कोर्ट को मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था. मामले की सुनवाई में तेजी आयी और पिंटू ने अपने मामा विनोद सिंह की हत्या मामले में कानूनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया. यह अब विनोद सिंह की विधवा व बच्चे भी स्वीकारते हैं. विनोद सिंह की हत्या वर्ष 1998 की 15 जुलाई को कर दी गयी थी. विनोद सिंह के अग्रज सकलदेव सिंह की हत्या के बाद कोल किंग सह कांग्रेस नेता सुरेश सिंह केस को आगे बढ़ा रहे थे. सुरेश खुद गवाही के दिन कोर्ट में काफिले के साथ पहुंचते थे. वर्ष 2011 की सात दिसंबर को सुरेश सिंह की हत्या कर दी गयी. सुरेश की हत्या के बाद कानूनी लड़ाई का जिम्मा बेटे अजय सिंह उर्फ पिंटू ने संभाला. पूरी कानूनी कार्रवाई देख रहे पिंटू कभी खुलकर कुछ नहीं बोलते थे. आज कोर्ट कै फैसले से वह अपनी लड़ाई की जीत बता रहे थे. संयोग है कि तीनों हत्याकांड में मुख्य आरोपी सिंह मैंशन के लोग ही हैं. पिता के साथ-साथ मामा विनोद की हत्या में अभियोजन पक्ष को मजबूती से कोर्ट में अधिवक्ता व गवाहों के माध्यम से रखवाया. इसी का परिणाम है कि कानूनी लड़ाई मुकाम तक पहुंचा. सुरेश मैंशन के लोगों को हत्याकांड में सजा दिलाना चाहते थे, जो उनके रहते पूरा नहीं हो सका. बेटे ने इस मामले में पिता के सपने को पूरा किया.
नहीं जुटी पहले की तरह समर्थकों की भीड़
सिंह मैंशन के खास को सजा सुनायी जानी थी. लेकिन, कोर्ट रोड या न्यायालय परिसर के आस-पास कोई खास भीड़ नहीं थी. जबकि आम तौर पर ऐसे मौके पर समर्थकों का पूरा जुटान होता था. विनोद सिंह हत्याकांड पर फैसले को ले कर सबकी निगाहें कोर्ट पर टिकी हुई थी. कोर्ट परिसर में मैंशन समर्थकों की उपस्थिति भले ही कम थी. लेकिन मोबाइल व टीवी के जरिये मैंशन समर्थक कोर्ट की गतिविधियों की जानकारी ले रहे थे. समर्थकों के लिए एक-एक पल भारी पड़ रहा था. जमसं (कुंती गुट) के अध्यक्ष रामधीर सिंह के कोर्ट में पेशी को ले कर भी चर्चाएं होती रही. हालांकि, अधिकांश कह रहे थे कि अध्यक्षजी नहीं आयेंगे. जबकिबच्चासिंह अपने अधिवक्ता समर श्रीवास्तव के सिरिस्ता में बैठ कर वकीलों व शुभचिंतकों से मिल रहे थे. उनके चेहरे पर शिकन थी. सिरिस्ता के बाहर पूर्व मंत्री के भतीजा सह डिप्टी मेयर नीरज सिंह, अभिषेक सिंह, अरविंद सिंह डटे हुए थे.
न्याय मिला, फैसले का स्वागत: नीलम
विनोद सिंह क पत्नी ने कहा है कि कोर्ट से फैसले से न्याय मिला. फैसले का स्वागत करते हैं. सुरेश बाबू ने कानूनी लड़ाई का आगे बढ़ाया और पिंटू बाबू ने अंजाम तक पहुंचाया.
लंबी लड़ाई में जीत मिली: अजय
विनोद सिंह का भांजा अजय कुमार सिंह उर्फ पिंटू (स्वर्गीय सुरेश सिंह के पुत्र) ने कहा है कि 18 वर्षो की लंबी लड़ाई में जीत मिली है. न्यायालय के फैसले को स्वीकार व सम्मान करते हैं. कोर्ट के फैसले से फिर साबित हुआ कि कानून से बड़ा कोई नहीं होता है.
कोर्ट का फैसला स्वीकार्य : दून बहादुर
मामले के सूचक सह विनोद सिंह के अग्रज दून बहादुर सिंह ने कहा है कि कोर्ट का फैसला स्वीकार्य है. कोर्ट ने रामधीर को दोषी ठहराया है.बच्चासिंह को बरी किये जाने के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे.
चार दशक के बाद माफिया के खिलाफ फैसला: अंकित
बिनोद सिंह के पुत्र अंकित सिंह ने कहा है कि चार दशक के बाद माफिया के खिलाफ लड़ाई में कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. लंबी लड़ाई के बाद आरोपी पर कानूनी शिकंजा कसा है. कोर्ट के फैसले का वह सम्मान करते हैं.
रामधीर को आना चाहिए था : समर श्रीवास्तव
धनबाद: बचाव पक्ष के अधिवक्ता समर श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्व मंत्रीबच्चासिंह के साथ वास्तव में न्याय हुआ है. उन्हें हत्याकांड से बरी कर दिया गया है. कोर्ट के प्रति वह आभार जताते हैं. हत्याकांड की एफआइआर तो फंसाने के लिए ही दर्ज करायी गयी थी. सिंह मैंशन के सदस्यों का राजनीतिक कैरियर व लाइफ बरबाद करने के लिए केस दर्ज कराया गया था. विनोद सिंह क्रिमिनल थे, जिस कारण किसी ने उनकी हत्या की. मैंशन से हत्या का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था. विनोद के बड़े भाई दून बहादुर ने एफआइआर दर्ज करायी थी, जबकि वह घटनास्थल पर नहीं था. सकलदेव सिंह ने आवेदन लिखकर दून बहादुर से हस्ताक्षर करवाया. हत्या की खबर पाकर विनोद सिंह की पत्नी नीलम सिंह मौके पर पहुंची थी लेकिन पुलिस उसे गवाह नहीं बनाया. कोर्ट में बहस के दौरान षड्यंत्र कर एफआइआर दर्ज करायी गयी और मैंशन के लोगों को नामजद किया गया. 18 वर्ष से मैंशन के लोग दबाव में थे. अधिवक्ता ने कहा कि रामधीर भी मामले में निदरेष हैं. रामधीर को कोर्ट में पेशी में आना चाहिए था. कोर्ट की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. समझ में नहीं आता वह कोर्ट में क्यों नहीं आ सके. कोर्ट से रामधीर को भी न्याय मिलेगा.
दूध का दूध, पानी का पानी : बच्चा
धनबाद. बहुचर्चित विनोद सिंह हत्याकांड में बाइज्जत बरी होने के बाद पूर्व मंत्री बच्च सिंह ने कहा कि न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. न्यायालय ने दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया. कोर्ट के फैसले का वह सम्मान करते हैं. हत्याकांड में उन्हें षडयंत्रकारी बताया गया था. सब जानते हैं एफआइआर क्यों व किसलिए दर्ज करायी गयी थी. वह न्यायालय व कानून का सम्मान करते हैं.
न्यायालय का निर्णय शिरोधार्य: नीरज
डिप्टी मेयर नीरज सिंह ने कहा है कि न्यायालय का फैसला स्वीकार है. सत्य की जीत हुई है. फैसले का स्वागत करते हैं.
सिंह मैंशन समर्थक नहीं पहुंचे
मैंशन समर्थकों को पहले से पता था कि रामधीर बीमार हैं और वह कोर्ट नहीं आयेंगे. इस कारण समर्थक कोर्ट परिसर में नहीं पहुंचे थे.
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