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एमसीआइ के पत्र से पीएमसीएच में हड़कंप

धनबाद : वहीं हुआ जिसका डर था, हाई कोर्ट से जीवन दान मिलने के बावजूद पीएमसीएच के प्रति न विभागीय अधिकारी गंभीर हुए, ना ही सरकार ने कोई कार्रवाई की. लिहाजा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने पीएमसीएच प्रबंधन को पत्र भेज कर छह माह में क्या-क्या सुधार किये गये, इसकी जानकारी दो दिनों के […]

धनबाद : वहीं हुआ जिसका डर था, हाई कोर्ट से जीवन दान मिलने के बावजूद पीएमसीएच के प्रति न विभागीय अधिकारी गंभीर हुए, ना ही सरकार ने कोई कार्रवाई की. लिहाजा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने पीएमसीएच प्रबंधन को पत्र भेज कर छह माह में क्या-क्या सुधार किये गये, इसकी जानकारी दो दिनों के अंदर उपलब्ध कराने की मांग की है.
पत्र आने में पीएमसीएच प्रबंधन में हड़कंप व्याप्त है. प्रबंधन उपलब्धि व कमियों से संबंधित कागजात बनाने में लग गया है. चिकित्सकों व कर्मचारियों की कमी सबसे बड़ी समस्या अभी तक पूरी नहीं हुई है. सूत्र बताते हैं कि कमियां मिलने पर एमसीआइ कड़े कदम उठा सकती है.
हाइकोर्ट से जीवन दान
पिछले वर्ष (2014) में एमबीबीएस की सीटों को लेकर काफी रस्साकशी चली थी. संसाधनों व मैन पावर की कमी के कारण एमसीआइ ने पीएमसीएच के सौ सीटों को घटा कर पचास कर दिया था, लेकिन पीएमसीएच ने सौ सीटों पर नामांकन ले लिया था. इसके बाद सरकार एमसीआइ के मामले को लेकर हाइकोर्ट में चली गयी. कोर्ट ने पीएमसीएच सहित अन्य दो मेडिकल कॉलेजों को दस माह का समय दिया, ताकि इन समय में संसाधन व मैन पावर की कमियां को दूर कर ली जाये. हालांकि एमसीआइ ने अपनी ओर से छह माह का समयदिया था, जो मार्च में पूरा हो गया है. वहीं हाइकोर्ट का समय जून में पूरा हो रहा है.
संसाधन में हुए कई काम
संसाधन के मामले में लगभग 90 प्रतिशत काम पीएमसीएच में अंतिम चरण में है. कुछ कार्य कर दिये गये हैं. ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, सेंट्रल कैजुअलिटी का काम लगभग पूरा हो चला है. मेडिसिन विभाग को डेढ़ करोड़ की लागत से विकसित किया गया है. गायनी, शिशु, ऑर्थो, सजर्री सहित अन्य विभागों के लिए जरूरी उपकरणों की खरीदारी की गयी है.

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