– सुधीर सिन्हा –
जून में 755 गाड़ी की हुई बिक्री, इसमें 679 का हुआ फाइनांस
धनबाद : धनबाद कोयलांचल में प्रत्येक माह में लगभग आठ सौ चार पहिया गाड़ियों की बिक्री होती है. इसमें 80 फीसदी गाड़ियों का फाइनांस होता है. शो रूम के आंकड़े को लें तो जून माह में मारुति, फोर्ड, महिंद्रा, टाटा मोटर्स, निसान व शेवरलेट की 755 गाड़ियों की बिक्री हुई.
इनमें 679 गाड़ियों का फाइनांस हुआ. त्योहारों में इसकी बिक्री दस गुणा बढ़ जाती है. कैश पेमेंट देकर हाइ प्रोफाइल के लोग ही गाड़ी खरीदते हैं. नौकरी पेशा व बिजनेसमैन भी फाइनांस से ही गाड़ी लेना पसंद करते हैं.
पांच लाख से ऊपर की गाड़ियों का फाइनांस ज्यादा
पांच लाख से अधिक कीमत वाली गाड़ियों का फाइनांस ज्यादा होता है. जून माह में मारुति की 200 गाड़ियों की बिक्री हुई. 160 गाड़ियों का फाइनांस हुआ. ए सेगमेंट की ओमनी, इको व मारुति 800 का कम फाइनांस हुआ जबकि बी सेगमेंट की डिजायर, एसएक्स-4 का अधिक फाइनांस हुआ.
फोर्ड की फिग्गो व फिस्टा मॉडल जून माह में 30 गाड़ी की बिक्री हुई. इनमें 18 गाड़ियों का फाइनांस हुआ. जून माह में हुंडई की 80 गाड़ी की बिक्री हुई. 72 गाड़ियों का फाइनांस हुआ. महिंद्रा की 210 गाड़ी की बिक्री हुई 199 गाड़ी का फाइनांस हुआ. टाटा मोटर्स की 90 गाड़ी की बिक्री हुई. 82 गाड़ी का फाइनांस हुआ. शेवरलेट व निसान मॉडल में भी 80 फीसदी गाड़ियों का फाइनांस हुआ.
श्रीमतीजी की जिद!
गाड़ियां स्टेटस सिंबल बन गयी हैं. कई गाड़ियां तो इसलिए खरीदी जाती है कि इसके पीछे श्रीमतीजी की जिद होती है. फलां साहब ने गाड़ी खरीद ली. आपने क्या किया? ताने इतने बढ़ जाते हैं कि पति महोदय सीधे फाइनांसर के पास जा पहुंचते हैं. व्यवसाइयों के सर्किल की पत्नियां भी इसी तरह की होती हैं.
अगर फलां के पास महंगी गाड़ी है तो अपने पास भी होनी चाहिए. हालांकि बिना जरूरत गाड़ियों का इस्तेमाल देश और पर्यावरण के ख्याल से नुकसानदेह है. पेट्रोल–डीजल की अत्यधिक खरीदारी से रुपये का अवमूल्यन होता है और धुएं से धरती प्रदूषित होती है.