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सुरेश सिंह हत्याकांड का सरकारी गवाह मुकरा

धनबादः चर्चित कोयला व्यवसायी सह कांग्रेस नेता सुरेश सिंह हत्याकांड में सरकारी गवाह पवन पासवान अपने बयान से मुकर गया है. इसे पुलिस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पवन के बयान के आधार पर ही पुलिस अपराधियों को सजा दिलाने का मंसूबा पाल रखी थी. हालांकि अभी तक वह मुख्य अभियुक्त शशि […]

धनबादः चर्चित कोयला व्यवसायी सह कांग्रेस नेता सुरेश सिंह हत्याकांड में सरकारी गवाह पवन पासवान अपने बयान से मुकर गया है. इसे पुलिस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पवन के बयान के आधार पर ही पुलिस अपराधियों को सजा दिलाने का मंसूबा पाल रखी थी. हालांकि अभी तक वह मुख्य अभियुक्त शशि सिंह को गिरफ्तार नहीं कर पायी है.

अपर जिला सत्र न्यायाधीश सप्तम निकेश कुमार सिन्हा की अदालत में पवन पासवान ने कहा कि घटना के बारे में वह कुछ नहीं जानता है. अदालत में आज दोनों केस अभिलेख की तिथि निर्धारित थी. आलोक वर्मा जिस केस अभिलेख एसटी केस नंबर 522/12 में ट्रायल फेस कर रहा है. उसी केस में साक्षी पवन पासवान ने अपना बयान अदालत में दर्ज कराया. पवन ने अदालत को बताया कि धनबाद क्लब में सात से आठ सौ लोगों की भीड़ थी. ऑर्केस्ट्रा चल रहा था. गोली चलने के बाद क्लब में भगदड़ मच गयी.

मैं किसी को नहीं पहचानता हूं. पवन ने आलोक वर्मा को पहचाने से इनकार कर दिया. वहीं दूसरे केस अभिलेख एसटी 522/12 में साक्षी पवन पासवान ने अदालत में अपना बयान दर्ज कराते हुए कहा कि धनबाद क्लब के गेट के समीप भागने के क्रम में मेरा पैर फंस गया था. न्यायिक दंडाधिकारी सीए मोइज ने 8 दिसंबर 11 को पवन पासवान का 164 का बयान दर्ज किया था. उस वक्त उसने घटना की पुष्टि कर अपना हस्ताक्षर किया था. लेकिन मंगलवार को उसने अदालत में गवाही देने के क्रम में अपने पूर्व के बयान से मुकरते हुए अदालत में कहा कि घटना के बारे में वह कुछ नहीं जानता है.


आइओ
को फटकारः केस के आइओ अनि रवि ठाकुर ने मंगलवार को आवेदन देकर अदालत को बताया कि गवाह साक्षी पवन पासवान काफी दहशत में है. उससे गवाही नहीं करायी जाय. एपीपी ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने आइओ के आवेदन को अग्रसारित कर दिया. इस मामले में सुनवाई के वक्त अदालत ने आइओ को सिविल ड्रेस में देख कर कड़ी फटकार लगाते हुए वरदी में उपस्थित होने का आदेश दिया. फटकार के बाद आइओ वरदी में नजर आये.


क्या
कहा एपीपीः एपीपी ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि 40 वर्षो के अदालती कार्यो में उन्होंने कभी भी नहीं देखा कि अभियोजन यदि गवाह की हाजिरी नहीं देते है तो उसकी गवाही हो जाये. वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता एचपी लाला ने कहा कि जब साक्षी को सम्मन निर्गत किया जा चुका हो तथा आरोपी के खिलाफ आरोप तय किया गया हो , तब आइओ को कोई अधिकार नहीं है कि वह कहे कि साक्षी की गवाही पहले बाद में करायी जाये.

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