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इसी सप्ताह संसद में पेश होगा कोल विधेयक

धनबाद: कोल इंडिया के एकाधिकार को खत्म करने वाले कोयला खदान (विशेष प्रवधान) अध्यादेश 2014 को कानूनी जामा पहनाने के लिए केंद्र सरकार इसे विधेयक के रूप में संसद में इसी सप्ताह पेश करेगी. सरकार हर हाल में इस विधेयक को इसी सप्ताह पारित कराएगी. यह कहना है ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव […]

धनबाद: कोल इंडिया के एकाधिकार को खत्म करने वाले कोयला खदान (विशेष प्रवधान) अध्यादेश 2014 को कानूनी जामा पहनाने के लिए केंद्र सरकार इसे विधेयक के रूप में संसद में इसी सप्ताह पेश करेगी.

सरकार हर हाल में इस विधेयक को इसी सप्ताह पारित कराएगी. यह कहना है ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव व पूर्व सांसद जीवन राय का. श्री राय ने कहा कि विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश होगा और गुरुवार को पारित हो जाएगा.

कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कोयला अधिनियम विधेयक 2000 को संसद से वापस लेकर इस अध्यादेश को संसद मे पेश करने का रास्ता साफ कर लिया है. जानकारों के मुताबिक विधेयक के पारित होने के बाद कोल इंडिया का कोयले पर से एकाधिकार खत्म हो जाएगा. इस अध्यादेश का विरोध केंद्रीय मजदूर संगठन कर रहे हैं. इसके विरोध में 24 नवंबर को हड़ताल करने का नोटिस भी दे दिया था. लेकिन कोल मंत्री से वार्ता होने के आश्वासन के बाद हड़ताल डेफर कर दिया था.

क्या है विधेयक : सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किये गये 214 कोल ब्लॉक को ई-ऑक्शन करने के लिए लिए केंद्र सरकार के कैबिनेट ने कोयला खदान (विश्ेाष प्रावधान) अध्यादेश 2014 को मंजूरी दी. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 21 अक्टूबर को अध्यादेश को जारी कर दिया गया. अभी तक निजी क्षेत्र का प्रवेश सिर्फ कैप्टिव माइंस तक ही था. इस कारण इसमें कोई बड़ा निवेश नहीं हो सका. इस नये अध्यादेश के बाद होने वाले ई-ऑक्शन मे बीएचपी बिलिटन , रियो टिंटों जैसी मल्टी नेशनल कंपनियों के भी शरीक होने की प्रबल संभावना जतायी जा रही है. इस अध्यादेश का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है वाणिज्यिक खनन की अनुमति. यानी कंपनियां कोयला खनन कर बेच भी सकती है. श्रमिक संगठन इसी कारण से विरोध कर रहे हैं.

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