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घूसखोर पीएफ क्लर्क को चार साल की सजा

धनबाद: सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश प्रथम विजय कुमार शर्मा की अदालत ने शुक्रवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सीएमपीएफ कार्यालय धनबाद के अपर डिवीजन क्लर्क विश्वनाथ दत्ता को पीसी एक्ट की धारा 7 व 13(2) सहपठित 13(1) (डी) में दोषी पाकर दोनों धाराओं में तीन वर्ष व चार वर्ष की […]

धनबाद: सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश प्रथम विजय कुमार शर्मा की अदालत ने शुक्रवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सीएमपीएफ कार्यालय धनबाद के अपर डिवीजन क्लर्क विश्वनाथ दत्ता को पीसी एक्ट की धारा 7 व 13(2) सहपठित 13(1) (डी) में दोषी पाकर दोनों धाराओं में तीन वर्ष व चार वर्ष की कैद तथा दो हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. अदालत ने सजायाफ्ता को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

फैसला सुनाये जाने के वक्त सीबीआइ के पीपी लवकुश कुमार अदालत में मौजूद थे. लोदना क्षेत्र के अंतर्गत रोपवे में कार्यरत एनएन चटर्जी के निधन के बाद उसकी विधवा लक्ष्मी चटर्जी ने रोपवे प्रबंधन के पास पीएफ की एरियर राशि 6150 रुपये भुगतान के लिए आवेदन दिया था. प्रबंधन ने उक्त आवेदन को क्षेत्रीय आयुक्त सीएमपीएफ डी-3 को अग्रसारित कर दिया. मृतक के दामाद पूर्णशीष घोषाल ने अपने ससुर की एरियर राशि की फाइल प्रोसेस करने के लिए क्लर्क से कई बार आग्रह किया. लेकिन, आरोपी क्लर्क ने फाइल प्रोसेस करने के एवज में एक सौ रुपये रिश्वत की मांग की.

उसने इसकी शिकायत सीबीआइ की धनबाद शाखा से की. 30 अगस्त 05 को सीबीआइ ने जाल बिछा कर आरोपी को रिश्वत लेते धर दबोचा. केस के आइओ सीबीआइ के इंस्पेक्टर आरपी तिवारी ने आरोपी के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया. अभियोजन की ओर से सीबीआइ के लोक अभियोजक मुकेश कुमार सिन्हा ने नौ गवाहों का परीक्षण कराया. यह मामला आरसी केस नंबर 10/05 से संबंधित है.

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