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टेक्सटाइल मार्केट: सुप्रीम कोर्ट ने अपील में जाने को कहा व्यवसायियों को झटका

धनबाद: टेक्सटाइल मार्केट प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने किसी तरह से हस्तक्षेप करने से मना कर दिया. कोर्ट ने मार्केट संचालकों को सीओ कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिला समाहर्ता (डीसी) न्यायालय में दो सप्ताह के अंदर अपील करने को कहा है. इससे एक बार फिर टेक्सटाइल मार्केट से जुड़े व्यवसायियों को झटका लगा है. […]

धनबाद: टेक्सटाइल मार्केट प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने किसी तरह से हस्तक्षेप करने से मना कर दिया. कोर्ट ने मार्केट संचालकों को सीओ कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिला समाहर्ता (डीसी) न्यायालय में दो सप्ताह के अंदर अपील करने को कहा है. इससे एक बार फिर टेक्सटाइल मार्केट से जुड़े व्यवसायियों को झटका लगा है.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सीओ कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए किसी तरह के हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सीओ कोर्ट में टेक्सटाइल मार्केट की जमीन को जिला परिषद की संपत्ति मानते हुए फैसला सुनाया गया है.

मार्केट संचालकों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुनवाई के बाद डीडीसी चंद्र किशोर मंडल एवं जिला परिषद के अधिवक्ता निरंजन सिंह ने बताया कि अंचलाधिकारी की रिपोर्ट पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ने कहा कि अंचलाधिकारी के यहां सुनवाई के दौरान आवेदकों ने पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला नहीं करेगा. अगर अपील में जाना है तो डीसी के यहां दो सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रख सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सिर्फ मॉनीटरिंग कर सकता है.

वहां अपना पक्ष रखें, उसके तीन माह बाद यहां अपना पक्ष रख सकते हैं. श्री मंडल ने बताया कि सीओ की रिपोर्ट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उक्त रिपोर्ट के आधार पर उक्त जमीन जिला परिषद की ही है. दो सप्ताह के अंदर अगर मार्केट से जुड़े लोगों ने डीसी के यहां अपील नहीं की तो हमलोग टेक्सटाइल मार्केट की दुकान खोल देंगे. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पीएस ठाकुर, आदर्श गोयल एवं एम भानुमति थी. टेक्सटाइल मार्केट की ओर से अधिवक्ता सुनील कुमार थे, जबकि जिला परिषद की ओर से निरंजन सिंह ने बहस की. मालूम हो कि 31 मार्च 2011 को हाइकोर्ट के आदेश पर टेक्सटाइल मार्केट सहित 216 भवनों को सील कर दिया गया था. भवन को जिला परिषद की संपत्ति बताया गया था. इसके बाद जमशेदपुर के सुरेश प्रसाद ने जनहित याचिका दायर की थी. तब से यह मामला अदालतों में चल रहा है. अभी मामले को सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग कर रहा है.

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