सुपरवाइजर व दो कंप्यूटर ऑपरेटर पर गबन का आरोप प्राथमिकी का आदेश धनबाद : नगर निगम में लेबर घोटाला का मामला सामने आया है. सुपरवाइजर व कंप्यूटर ऑपरेटर की मिली भगत से 13.66 लाख का घोटाला किया गया. उपस्थिति पंजी में लेबर कोई होता था और बैंक में भुगतान किसी दूसरे के नाम से होता […]
सुपरवाइजर व दो कंप्यूटर ऑपरेटर पर गबन का आरोप प्राथमिकी का आदेश
धनबाद : नगर निगम में लेबर घोटाला का मामला सामने आया है. सुपरवाइजर व कंप्यूटर ऑपरेटर की मिली भगत से 13.66 लाख का घोटाला किया गया. उपस्थिति पंजी में लेबर कोई होता था और बैंक में भुगतान किसी दूसरे के नाम से होता था. मामला सितंबर 2016 से लेकर मई 2019 के बीच लेबर भुगतान का है.
सुपरवाइजर दीपक साव, कंप्यूटर ऑपरेटर प्रीतम कुमार व विक्की कुमार साव पर 13.63 लाख रुपये गबन का आरोप है. सरायढेला के विकास सिंह की शिकायत पर वार्ड नंबर 24 में लेबर की जांच की गयी. जांच में पाया गया कि लेबर कोई होता था और बैंक में भुगतान किसी दूसरे के नाम से होता था. लेबर पेमेंट के अलावा 48 हजार रुपये का बोनस में घोटाला भी उजागर हुआ है.
नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप ने बताया कि सुपरवाइजर के खिलाफ शिकायत मिली थी. सुपरवाइजर को पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है. सुपरवाइजर के साथ दो कंप्यूटर ऑपरेटर प्रीतम कुमार व विक्की कुमार साव की भी मिलीभगत सामने आयी है. सुपरवाइजर के साथ दोनों कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ 13.63 लाख गबन के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.
मुख्य बिंदु
उपस्थिति पंजी में लेबर कोई और, बैंक में भुगतान किसी और के नाम
सितंबर 2016 से मई 2019 के बीच किया गया फर्जी तरीके से भुगतान
क्या है जांच रिपोर्ट
वार्ड में 27 मजदूर कार्यरत हैं. इसमें 10 से 12 लेबर फर्जी पाये गये. उपस्थिति पंजी के नाम एवं सफाई कर्मियों को भुगतान के लिए भेजे गये भुगतान पत्र के फोटो अलग-अलग पाये गये. लेबर रवि हाड़ी का बैंक एकाउंट नंबर सुपरवाइजर के नाम से पाया गया. उपस्थित पंजी में रवि हाड़ी, राजू हाड़ी, भादो देवी, जानकी बांसफोर, मंटू हाड़ी, पूरन हाड़ी, सूरज कुमार राम, करण बाउरी, गरीब हाड़ी, धमेंद्र कुमार, राहुल हाड़ी के नाम हैं. उपस्थित पंजी में दर्ज खाता संख्या को न दर्ज कर बैंक शीट में दूसरे खाता संख्या को बदल दिया गया. कुछ मजदूर जो फर्जी पाये गये, उन्होंने कभी वार्ड संख्या 24 में कार्य ही नहीं किया. परंतु उनलोगों के नाम से अवैध तरीके से माह सितंबर 2016 से माह मई 2019 तक अवैध निकासी की गयी.