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पूर्व थानेदार व एएसआइ को दो-दो साल की सजा

धनबाद : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार पांडेय की अदालत ने शुक्रवार को मनराज तिर्की कस्टडीयल डेथ मामले में फैसला सुनाते हुए बोकारो सेक्टर 12 थाना के पूर्व थानेदार रुक्सार अहमद व सहायक अवर निरीक्षक उपेंद्र नारायण सिंह को भादवि की धारा 304 में निर्दोष पाकर रिहा कर दिया, लेकिन भादवि की धारा 323 […]

धनबाद : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार पांडेय की अदालत ने शुक्रवार को मनराज तिर्की कस्टडीयल डेथ मामले में फैसला सुनाते हुए बोकारो सेक्टर 12 थाना के पूर्व थानेदार रुक्सार अहमद व सहायक अवर निरीक्षक उपेंद्र नारायण सिंह को भादवि की धारा 304 में निर्दोष पाकर रिहा कर दिया, लेकिन भादवि की धारा 323 में एक साल, 343 व 120(बी)में दोषी पाकर दो-दो वर्ष कैद व दस-दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी.

सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. बाद में अदालत ने दोनों सजायफ्ताओं को झारखंड हाइकोर्ट में क्रिमिनल अपील याचिका दायर करने के लिए अंशकालिक जमानत दे दी. अभियोजन की ओर से सीबीआइ के वरीय लोक अभियोजक कपिल मुंडा ने सजा के बिंदु पर बहस की. ज्ञात हो कि 22 दिसंबर 2005 को बोकारो सेक्टर 12 थाना की पुलिस ने डकैती मामले के आरोपी मनराज तिर्की को पकड़ कर हाजत में बंद कर दिया था. पूछताछ के दौरान उसे टॉर्चर करना शुरू किया, तभी उसकी हालत नाजुक हो गयी.

उसे तत्काल इलाज के लिए बीजीएच में भर्ती कराया गया, जहां एक जनवरी 06 को उसकी मौत हो गयी. घटना के बाद मुक्ति तिर्की, सचिव आदिवासी महासभा ने प्राथमिकी दर्ज करायी. 25 जनवरी 2007 को सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की. केस के अनुसंधानक ने 16 अक्तूबर 08 को आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया. अदालत ने 11 अगस्त 18 को आरोपितों के खिलाफ आरोप गठन कर केस का विचारण शुरू किया. अभियोजन ने केस विचारण के दौरान 17 गवाहों की गवाही करायी.

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