धनबाद : आठ साल के लंबे प्रयास के बाद अंतत: ठोस कचरा प्रबंधन का रास्ता साफ हो गया. नगर निगम को सिंदरी में 35 एकड़ जमीन मिली है. यहां कचरा डंपिंग स्टेशन, वेस्ट टू एनर्जी या वेस्ट टू कंपोस्ट का प्लांट बैठाया जायेगा. यह जमीन एफसीआइ ने नगर निगम को 25 साल के लिए लीज […]
धनबाद : आठ साल के लंबे प्रयास के बाद अंतत: ठोस कचरा प्रबंधन का रास्ता साफ हो गया. नगर निगम को सिंदरी में 35 एकड़ जमीन मिली है. यहां कचरा डंपिंग स्टेशन, वेस्ट टू एनर्जी या वेस्ट टू कंपोस्ट का प्लांट बैठाया जायेगा. यह जमीन एफसीआइ ने नगर निगम को 25 साल के लिए लीज पर दी है. चार सितंबर को ठोस कचरा प्रबंधन का टेंडर निकलेगा. फर्स्ट फेज में 76 करोड़ का टेंडर होगा. सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो माह-दो माह में कचरा प्रबंधन का काम शुरू हो जायेगा.
बताते चलें कि ठोस कचरा प्रबंधन के लिए चार बार सिंगल टेंडर हुआ. पिछले दिनों नगर विकास सचिव की पहल पर रैमकी को काम देने पर सहमति बनी. लेकिन नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप ने कुछ तकनीकी कारणों से इसे रद्द करते हुए नये सिरे से टेंडर निकालने का निर्देश दिया. इसके बाद नये सिरे से इसका टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
25 सितंबर को खुलेगा टेंडर : वेस्ट टू कंपोस्ट काे लेकर चार सितंबर को टेंडर निकलेगा. 22 को टेंडर डालने की अंतिम तिथि होगी. 25 को टेंडर खुलेगा. तकनीकी बीट के बाद फाइनांशियल बीट खुलेगा. इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके बाद वेस्ट टू एनर्जी या वेस्ट टू कंपोस्ट के लिए पीपीपी मोड पर काम होगा. लगभग 276 करोड़ का प्रोजेक्ट है. 25 साल तक कंपनी के साथ एग्रीमेंट होगा.
35 एकड़ जमीन पर बनेगा कचरा डंपिंग स्टेशन
फर्स्ट फेज में 76 करोड़ का टेंडर
जमीन नहीं होने के कारण नहीं आ रही बड़ी कंपनियां
पीपीपी मोड पर 252 करोड़ का बनेगा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट
नगर निगम को 25 साल के लिए मिला है लीज
एफसीआइ की जमीन है. नगर निगम को 25 साल के लिए लीज मिला है. वेस्ट टू एनर्जी या वेस्ट टू कंपोस्ट का प्लांट लगाने के लिए यह उपयुक्त जगह है. जमीन को लेकर यहां कोई विवाद नहीं है. टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर
पुटकी-टुंडी में विफलता के बाद अब सिंदरी में डंपिंग स्टेशन की तैयारी
ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर पिछले आठ साल से निगम हाथ-पांव मार रहा है. वर्ष 2012 में बीसीसीएल ने निगम को पुटकी में 38 एकड़ जमीन दी थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण वहां कचरा डंपिंग स्टेशन नहीं बन पाया. इसके बाद जिला प्रशासन की पहल पर टुंडी में जमीन मिली लेकिन यहां भी ग्रामीणों के विरोध के कारण बीच में ही मामला ठप हो गया. जमीन को लेकर ठोस कचरा प्रबंधन का टेंडर फाइनल नहीं हो पा रहा था. लिहाजा इस बार टेंडर में 35 एकड़ जमीन का भी जिक्र किया गया है ताकि जो कंपनी टेंडर डाले उसे आगे परेशानी न हो.