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बदनाम करने की कोशिश है भारत आजाद पार्टी

धनबाद : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जैसे संस्थानों में जातीय आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है. इसका उदाहरण आइआइटी आइएसएम है. यहां पढ़ने वाले छात्र एक दूसरे की जाति से अनजान हैं. शिक्षक भी किसी छात्र से जाति नहीं पूछते. ऐसे में भारत आजाद पार्टी के कथित कर्ता-धर्ता आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को बदनाम […]

धनबाद : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जैसे संस्थानों में जातीय आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है. इसका उदाहरण आइआइटी आइएसएम है. यहां पढ़ने वाले छात्र एक दूसरे की जाति से अनजान हैं. शिक्षक भी किसी छात्र से जाति नहीं पूछते. ऐसे में भारत आजाद पार्टी के कथित कर्ता-धर्ता आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
आइआइटी आइएसएम के छात्रों की संस्था जनसंसद के कोर सदस्यों ने सोमवार को स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि भारत आजाद पार्टी के संस्थापकों के साथ अगर पढ़ाई के दौरान कथित तौर पर भेदभाव हुआ था तो उस वक्त ये खामोश क्यों रह गये? देश में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति आयोग जैसी संस्था है, वहां इन लोगों ने शिकायत क्यों नहीं की थी.
स्वार्थ के लिए नाम का इस्तेमाल : जनसंसद के सदस्यों ने कहा कि भारत आजाद पार्टी के संस्थापकों में देश के विभिन्न आइआइटी के 50 पूर्व छात्रों के शामिल होने की बात कही जा रही है, जो सरासर गलत है. वे लोग केवल आइआइटी के नाम का इस्तेमाल ब्रांडिंग के लिए कर रहे हैं. वे अपने स्वार्थ के लिए आइआइटी जैसी महत्वपूर्ण संस्था को बदनाम कर रहे हैं. जनसंसद के सदस्यों ने पूर्ववर्ती छात्रों का राजनीति में कदम रखने का स्वागत किया है. साथ ही उन्हें सलाह दी है कि वे बहुजन की जगह सर्वजन की राजनीति करें.
आरक्षण व्यवस्था का सम्मान : जनसंसद के वरीय सदस्य प्रिंस हर्ष बताते हैं कि वे देश के संविधान के तहत समाज के पिछड़े वर्ग को मिली आरक्षण व्यवस्था का भी सम्मान करते हैं. वे मानते हैं कि जिन्हें आरक्षण मिला है, उन्हें सच में इसकी जरूरत है.
सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय : प्रिंस हर्ष ने बताया कि जनसंसद पूरी तरह गैर राजनीतिक संगठन है. हमारा मुख्य उद्देश्य सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय है. इसके साथ ही संगठन का मुख्य लक्ष्य समाज में लोकतांत्रिक परंपरा को मजबूती प्रदान करना है.
सितंबर 2016 में गठन : आइआइटी आइएसएम में जनसंसद का गठन में कश्मीर के उड़ी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद सितंबर 2016 में किया गया था. इस आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हुए थे, जिसमें झारखंड के खूंटी के जावरा मुंडा और गुमला के नायमन कुजूर के घर जाकर जनसंसद के सदस्यों ने दोनों जवानों के घर पर जा कर श्रद्धांजलि दी थी.
जनसंसद के कोर सदस्य : प्रेस वार्ता में संगठन के कोर सदस्यों में आइआइटी आइएसएम से हर्ष प्रिंस(अंतिम वर्ष ड्यूअल डिग्री माइनिंग इंजीनियरिंग), हिमांशु मिश्रा (अंतिम वर्ष बीटेक माइनिंग), अभिषेक कुमार, शिवम झा (अंतिम वर्ष ड्यूल डिग्री माइनिंग इंजीनियरिंग), वहीं सुजीत रमण आइआइटी आइएसएम के पूर्व छात्र हैं. इसके साथ बीएचयू के छात्र कुमार अभिषेक और किंग्स जार्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ के डॉ शुभम राय सहित अन्य सदस्य शामिल थे.

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