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60 सरकारी स्कूलों के 273 बच्चों की भागीदारी

राजकमल सविमं. ‘युवा भारत की आवाज’ की जिला स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित संस्था ‘एक और प्रयास’ की आेर से रविवार को राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर, धनसार में आयोजित ‘युवा भारत की आवाज’ की ज़िला स्तरीय प्रतियोगिता में जिले के 60 सरकारी स्कूलों के चयनित 273 बच्चों ने हिस्सा लिया. धनबाद : प्रतियोगिता संस्था के अध्यक्ष मानस […]

राजकमल सविमं. ‘युवा भारत की आवाज’ की जिला स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित
संस्था ‘एक और प्रयास’ की आेर से रविवार को राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर, धनसार में आयोजित ‘युवा भारत की आवाज’ की ज़िला स्तरीय प्रतियोगिता में जिले के 60 सरकारी स्कूलों के चयनित 273 बच्चों ने हिस्सा लिया.
धनबाद : प्रतियोगिता संस्था के अध्यक्ष मानस प्रसून के नेतृत्व में हुई. मौके पर मुख्य रूप से विधायक राज सिन्हा, जैक के उपाध्यक्ष फूल सिंह व वरीय अधिवक्ता स्वपन कुमार मुखर्जी उपस्थित थे. वक्ताआें ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपनी जिंदगी में कुछ करने की चाहत रखते हो तो लक्ष्य के प्रति ज़िद्दी बनो, जैसे बचपन में हम सभी जिद कर अपनी वस्तु हासिल कर ले थे, ठीक उसी तरह.
विकास में युवाआें की मुख्य भूमिका : वक्ताआें ने कहा कि देश के विकास में युवा वर्ग मुख्य भूमिका है. किसी भी देश का भविष्य देश के युवाओं से ही सुंदर बनता है.
हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा युवा वर्ग का है. युवा उनको कहा जाता है जिनकी उम्र 15 साल से 40 साल के बीच हो. भारत देश को आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस थे. इसके अलावा भी बहुत से स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश के नाम अपनी जान दे दी. भारतीय युवा ने देश को कहां से कहां पहुंचा दिया है.
स्वार्थी हो गये हैं आज के युवा : कहा कि युवाओं के चलते ही देश ने इतनी तेजी से विकास किया है. लेकिन आज का भारतीय युवा स्वार्थी हो गया है. वह देश की तरक्की के बारे में न सोच कर सिर्फ अपने बारे में सोचता है. भारतीय युवा को अपनी ज़िम्मेदारी को समझना चाहिए. ‘नहीं होगा, देखता हूं जैसे शब्दों का इस्तेमाल आलसी, निकम्मे लोग करते हैं. इन्हें अपने अंदर से एकदम से हटा दें. हमेशा पॉज़िटिव रहना है. कुछ हमेशा करने और नये तरीके से बार-बार करने वाला व्यक्ति ही इतिहास रचता है.
खिलाड़ियों के समक्ष पूरा विश्व नतमस्तक : वक्ताआें ने कहा कि खेल के क्षेत्र में कुछ करने की चाहत के कारण ही सचिन, विराट, सानिया मिर्जा, पीटी उषा, अरुणिमा जैसे खिलाड़ियों के सामने पूरा विश्व नतमस्तक होता है. शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने की चाहत के कारण ही स्वामी विवेकानंद, डॉ होमी जहांगीर भाभा, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, सुनीता विलियम, कल्पना चावला, किरण बेदी जैसे शिक्षाविदों के सामने पूरा विश्व नतमस्तक होता है. प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती.
जिनका रहा योगदान : आयोजन में प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर प्रतिमा अग्रवाल, संजय बनर्जी, रामपूजन सिंह, शेखर सुमन, पूनम सिंह, हरि गोपाल, संतोष आनंद, संतोष कुमार, प्रिया चावड़ा, डॉली शर्मा, अशोक साहु, सीमा, संतोष रवि, रेखा घोष, विकास, गौरव, अविनाश, सियाराम सिंह, रजनीकांत आदि का सक्रिय योगतान रहा.

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