जेपीकॉन 2018. देश भर के फिजिशियनों का हुआ जुटान
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पुरुषों की तुलना महिलाओं में माइग्रेन की समस्या छह गुणा से ज्यादा : डॉ झा
जेपीकॉन 2018. देश भर के फिजिशियनों का हुआ जुटान धनबाद : महिलाओं में पुरुषों की तुलना में माइग्रेस की समस्या काफी अधिक होती है. पुरुषों में माइग्रेन जहां तीन से पांच प्रतिशत तक होती है. वहीं महिलाओं में सामान्यत: 15-20 प्रतिशत होती है. इसके पीछे महिलाओं पाया जानेवाला हार्मोंस भी है. यही माइग्रेन सप्ताह में […]
धनबाद : महिलाओं में पुरुषों की तुलना में माइग्रेस की समस्या काफी अधिक होती है. पुरुषों में माइग्रेन जहां तीन से पांच प्रतिशत तक होती है. वहीं महिलाओं में सामान्यत: 15-20 प्रतिशत होती है. इसके पीछे महिलाओं पाया जानेवाला हार्मोंस भी है. यही माइग्रेन सप्ताह में चार बार होता है, तो सामान्य माना जाता है, इसके लिए पारासिटामोल खाया जा सकता है. लेकिन इससे अधिक होने पर चिकित्सक से जरूर सलाह लेनी चाहिए. यह बातें रिम्स रांची के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर व न्यूरो फिजिशियन डॉ डीके झा ने कही.
वह होटल सोनोेटेल में आयोजित एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआइ) झारखंड के दो दिवसीय छठां एनुअल कांफ्रेंस (जेपीकॉन 2018) में कही. उन्होंने कहा कि हेडएक (सिरदर्द) के दो कारण होते हैं. एक तनाव व दूसरा माइग्रेन. तनाव में सिर के पीछे के हिस्से में एठन होने लगती है. वहीं माइग्रेन में दर्द के साथ तेज आवाज जैसी समस्याएं आती हैं. बिना डॉक्टर के एक ही दवा ले सकते हैं, वह है पारासिटामोल. सामान्य लोग भी बदन दर्द, बुखार, सिरदर्द में पारासिटामोल से सकते हैं.
लेकिन यदि सिर दर्द 48 घंटे से ज्यादा हो, तो चिकित्सक से जरूर दिखायें. माइग्रेन में सिरदर्द, तेज आवाज, लाइट व साउंड में चिड़चिड़ा हो जाना, उल्टियां आना हो सकता है. इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुई. उद्घाटन एपीआइ के चेयरमैन डॉ एनके सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एकेपी सिंह, डॉ वीके पांडेय, डॉ वीएसवी प्रसाद आदि ने दीप जला कर की. कांफ्रेंस में देश भर के कई नामचीन चिकित्सकों ने भाग लिया.
देश के प्रसिद्ध न्यूरो फिजिशियन डॉ केके सिन्हा का अभिभाषण पहली बार किसी कांफ्रेंस में पढ़ा गया. डॉ डीके झा ने डॉ सिन्हा का अभिभाषण पढ़ा. वहीं फिजिशियनों के पितामह माने जानेवाले व वरिष्ठ डॉ बीबी ठाकुर ने (मुजफ्फरपुर) वीडियो के माध्यम से चिकित्सकों को संबोधित किया.
सुगर व बीपी से मरीज में सेक्सुअल डिस्आर्डर : मुंबई से आये प्रसिद्ध फिजिशियन व सेक्सोलॉजिस्ट डॉ प्रो दीपक के जुमानी ने कहा कि डायबिटिज व बीपी शरीर के नसों को प्रभावित करता है. खून का बहाव कम करता है. ऐसे में पुरुषों के शरीर में उत्तेजना कम हो जाती है. सेक्स की इच्छा कम हो जाती है. महिलाओं में भी यह होता है.
असल में सुगर, बीपी, बदन में अधिक चर्बी होने, धूम्रपान करने वालों में सेक्स की समस्याएं ज्यादा आती है. लोग इससे तनाव में रहते हैं. दुर्भाग्य है कि लोग इस डिजिट के बारे में न चिकित्सक से खुल कर पूछते हैं और न चिकित्सक जानना चाहते हैं. सेक्सोलॉजिस्ट की भी पढ़ाई नहीं होती है. सामान्यत: एक पुरुष में 90 वर्ष तक सेक्स की क्षमता होती है.
विल्सन डिजिज के प्रति जागरूकता में कमी : डॉ डीके झा
डॉ झा ने बताया कि विल्सन एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर से ताबां नहीं निकल पाता है. ऐसे में मरीज चलने और बोलने में लड़खड़ाता है. लीवर काम नहीं करता है. हाथों में एेंठन बढ़ जाती है. सामान्यत: इस बीमारी को लोग नहीं समझ पाते हैं. इसका गलत इलाज कर देते हैं. लोग ओझा-टोना के चक्कर में भी पढ़ जाते हैं. दरअसल, हम जो खाना खाते हैं, उसमें पांच मिली ग्राम ताबां भी खाते हैं, जो सामान्यत: मूत्र या पित्त से निकल जाते हैं. लेकिन नहीं निकलने पर बीमारी असर करने लगती है. झारखंड में प्रति तीस हजार में एक व्यक्ति को यह बीमारी है. एक सौ लोगों का इलाज मैं कर रहा हूं.
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