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नौ महीने में मिलावटी कोयला से 1150 करोड़ का नुकसान

बीसीसीएल. कोयला के ग्रेड में 88 प्रतिशत की गिरावट, 12 प्रतिशत ही ग्रेड-टू-ग्रेड कोयला का डिस्पैच धनबाद : मिनी रत्न कंपनी बीसीसीएल वर्तमान में कई गंभीर चुनौतियों से गुजर रही है. बीसीसीएल के बीआइएफआर में जाने तक की आशंका व्यक्त की जा रही है. हालांकि बीसीसीएल की स्थिति सुधारने को लेकर सीएमडी अजय कुमार सिंह […]

बीसीसीएल. कोयला के ग्रेड में 88 प्रतिशत की गिरावट, 12 प्रतिशत ही ग्रेड-टू-ग्रेड कोयला का डिस्पैच

धनबाद : मिनी रत्न कंपनी बीसीसीएल वर्तमान में कई गंभीर चुनौतियों से गुजर रही है. बीसीसीएल के बीआइएफआर में जाने तक की आशंका व्यक्त की जा रही है. हालांकि बीसीसीएल की स्थिति सुधारने को लेकर सीएमडी अजय कुमार सिंह बेहद गंभीर हैं. कोयला उत्पादन व डिस्पैच में सुधार के साथ-साथ कोयला की क्वालिटी पर भी सीएमडी श्री सिंह की पैनी नजर है. सीएमडी श्री सिंह की ओर से बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने की तमाम कोशिशों पर भ्रष्ट अधिकारियों की जमात पानी फेर रही है.
बीसीसीएल के विभिन्न कोयला क्षेत्रों में कार्यरत अधिकारियों की एक जमात अपनी नाकामी छिपाने के लिए एक ओर जहां कोयला का ओवररिपोर्टिंग कर रही है, वहीं दूसरी ओर मिलावटी कोयला पावर प्लांटों को डिस्पैच किया जा रहा है. कोयला की खराब क्वालिटी के कारण बीसीसीएल को प्रतिमाह 120 करोड़ रुपयेे का नुकसान हो रहा है. चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीते नौ महीने में यानी अप्रैल से दिसंबर माह तक करीब 1150 करोड़ रुपये नुकसान की बात कही जा रही है.
कोयला के ग्रेड में 88 प्रतिशत की गिरावट : पावर व स्टील कंपनियों को बीसीसीएल के विभिन्न क्षेत्रों से डिस्पैच होने वाले कोयला की क्वालिटी में 88 प्रतिशत की गिरावट (तकनीकी शब्द स्लिपेज) आयी है. 12 प्रतिशत ही कोयला ग्रेड टू ग्रेड डिस्पैच हो सका है. खराब कोयला आपूर्ति के कारण कई पावर कंपनियों ने पेमेंट रोक दिया है, तो कई कंपनियों ने सिर्फ जिस ग्रेड का कोयला उन्हें डिस्पैच हुआ है, उस ग्रेड के मुताबिक ही भुगतान किया है. बीसीसीएल के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो बीसीसीएल के घाटे में जाने की एक वजह यह भी है.
क्यों हुआ है ऐसा : अपनी वाहवाही में एरिया प्रबंधन की ओर से कोयला की ओवररिपोर्टिंग तो कर दी गयी है, लेकिन स्टॉक के मुताबिक विभिन्न साइडिंगों में कोयला उपलब्ध नहीं है. ऐसे में एरिया प्रबंधन की ओर से रेलवे साइडिंग में ही कोयला के साथ ओवरबर्डेन (ओबी) आदि मिलाकर डिस्पैच कर दिया जा रहा है. इसी कारण ग्रेड में 88 प्रतिशत का स्लिपेज आया है.
सीएमडी अजय कुमार सिंह के निर्देशों के बावजूद कोयला की क्वालिटी में नहीं हो रहा है सुधार
गोविंदपुर, सीवी, कुसुंडा, ब्लॉक-टू लोदना व बरोरा एरिया के कोयला की क्वालिटी में अधिक गिरावट
किस एरिया को कितना हुआ नुकसान
एरिया नुकसान
बरोरा 115 करोड़
ब्लॉक-टू 180 करोड़
गोविंदपुर 130 करोड़
सिजुआ 70 करोड़
कतरास 70 करोड़
कुसुंडा 175 करोड़
बस्ताकोला 160 करोड़
लोदना 175 करोड़
सीवी एरिया 160 करोड़
इजे एरिया 30 लाख
िवभिन्न एरिया में ग्रेड स्लिपेज का प्रतिशत
एरिया ग्रेड स्लिपेज
बरोरा 70 प्रतिशत
ब्लॉक-टू 80 प्रतिशत
गोविंदपुर 99 प्रतिशत
सिजुआ 38 प्रतिशत
कतरास 22 प्रतिशत
कुसुंडा 83 प्रतिशत
बस्ताकोला 75 प्रतिशत
लोदना 73 प्रतिशत
सीवी एरिया 90 प्रतिशत
सीएमडी देते रहे हैं कड़ा निर्देश
सूत्रों की माने तो ग्रेड स्लिपेज का मुख्य कारण सीएची के बजाय रेलवे साइडिंगों पर कोयला की क्रशिंग डोजर से कराना है. सीएमडी श्री सिंह हर बैठक में सीएचपी से क्रश कोयला ही डिस्पैच करने का निर्देश देते हैं, लेकिन इसका अनुपालन एरिया प्रबंधन नहीं करता है. कोयला की क्वालिटी को लेकर कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया चेयरमैन व बीसीसीएल के सीएमडी अजय कुमार भी गंभीर है. हर मीटिंग में कोयला की क्वालिटी में सुधार व ग्रेड स्लिपेज बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी देते हैं. बावजूद इसके एरिया प्रबंधन पर इसका असर नहीं दिख रहा है.

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