अध्यात्म. जोड़ाफाटक में श्रीमद्भागवत कथा का पांचवां दिन, उमड़ रही भीड़
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श्रीकृष्ण के बिना जीवन नीरस : आत्मप्रकाश
अध्यात्म. जोड़ाफाटक में श्रीमद्भागवत कथा का पांचवां दिन, उमड़ रही भीड़ जोड़ाफाटक में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्रोताओं का हुजूम उमड़ पड़ा. लोग श्रीकृष्ण कथामृत का रसास्वादन किया. इस दौरान श्रीकृष्ण की महत्ता पर लोगों को बताया गया. धनबाद : मोह रूपी रात्रि में सारे जीव सोये रहते हैं. इस मोह रूपी रात्रि से […]
जोड़ाफाटक में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्रोताओं का हुजूम उमड़ पड़ा. लोग श्रीकृष्ण कथामृत का रसास्वादन किया. इस दौरान श्रीकृष्ण की महत्ता पर लोगों को बताया गया.
धनबाद : मोह रूपी रात्रि में सारे जीव सोये रहते हैं. इस मोह रूपी रात्रि से जागने के लिए मानव को संत और शास्त्र की जरूरत होती है. जीव को जगा हुआ तब जानना चाहिए जब पति, पत्नी, पुत्र, संपत्ति, सत्ता और संसार से विरक्ति हो जाये, इसे देखने का मन न करे. माया के बंधन को तोड़नेवाला इनसान परमात्मा के चरणों में जगह पाता है. ये बातें श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक स्वामी आत्मप्रकाश सरस्वती ने व्यास पीठ से भक्तों से कहा. प्रेम ऐसी चीज है जितना छिपाओ उतना बढ़ेगा. प्रेम में संगोपन होना चाहिए. जो कृष्ण को हृदय में छिपाये रहती है वह है गोपी. जो अपने इंद्रियों द्वारा भक्ति रस का पान करती है,
वह है गोपी. कृष्ण जीवन में हैं तो जीवन सरस है, नहीं हैं तो जीवन नीरस है. नीरस जीवन बोझ और सरस जीवन उत्सव हो जाता है. जिंदगी को बोझ की तरह ढोना नहीं है. आनंद में मौज में रहो. जीवन में कृष्ण है तो प्रत्येक क्षण उत्सव है. गोवर्धन का अर्थ है गौ माने भक्ति वर्धन माने वृद्धि. जिसके जीवन में भक्ति की वृद्धि निरंतर होती रहे भगवान उसे वैकुंठ की प्राप्ति कराते हैं. भक्ति भगवान के करीब लाती है. गोवर्धन के निकट वृंदावन है. वृंदावन की महिमा इतनी है कि हर जगह भक्त नाचते हैं, भगवान देखते हैं लेकिन वृंदावन में भगवान नाचते हैं और भक्त देखते हैं. ऐसे लोग माया के वश में होकर पुन: जन्म मृत्यु के चक्र में फंसजाते हैं. हर आयोजन का प्रायोजन होता है. भगवान कृष्ण में सबकी भक्ति हो जाये. अनुराग हो जाये. लोगों के हृदय में प्रिय का उदय हो जाये. वह प्रेम कृष्ण में समर्पित हो जाये. जो अपने नेत्र से भगवान का दर्शन कर रहा है भगवान को पी रहा है. कथा केवल सुनने नही पीने की बात है.
कान्हा को लगे छप्पन भोग : आज की कथा में पीली साड़ियों में गोपियों का वेश सजाये महिलाओं ने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की. भक्ति में डूबी गोपियों ने नृत्य किया. कान्हा के चरणों में अपनी भक्ति समर्पित कर अपनी शरण में लेने की विनती की. मौके पर कान्हा को छप्पन भोग लगाया गया. स्वामीजी की संगीत मंडली में शामिल श्रीराम मोहन, मनोज मिश्र, राजन उपाध्याय, प्रवीण कपूर, दीनदयाल पांडेय ने भजन गाकर भक्तों को भक्ति रस का पान कराया.
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