धनबाद: सुरेश कुमार मंडल के पिता जीतू मंडल बरवाअड्डा इलाके में हॉकर हैं. अकेले काम नहीं संभालने की स्थिति में बड़े बेटे सुरेश को इस काम में लगाया. सुरेश पढ़ने में होनहार है. लेकिन काम को उन्होंने कभी छोटा नहीं समझा.
कुछ तो गरीबी भी कारण रही, जिसके कारण पिता का हाथ बटाना मजबूरी थी. यह काम ग्रेजुएशन करने के बाद नहीं, बल्कि वर्ष 2000 में मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद ही उन्होंने शुरू कर दिया. सुबह तीन बजे स्टेशन पहुंच कर पेपर उठाना फिर सुबह-सुबह अपने ग्राहकों में पेपर बांटना, फिर घर लौट कर कॉलेज जाना, शाम को टय़ूशन जाना शिडय़ूल में शामिल कर लिया था. कड़ी परिश्रम के कारण ही सभी परीक्षाओं में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया.
वर्ष 2012 में राज्य सरकार की ओर से दारोगा के पद के लिए वैकेंसी निकली. सुरेश ने परीक्षा दी. बरवाअड्डा थाना क्षेत्र में पहला युवक था, जिन्होंने डायरेक्ट दारोगा की परीक्षा पास की.जब ट्रेनिंग के लिए बुलावा आया तो वह हजारीबाग ट्रेनिंग के लिए चला गया. हजारीबाग में 30 अक्तूबर 2013 को पीटीसी पूरा किया. पहली बार चतरा जिला में परीक्ष्यमाण(ऑन प्रोवेशन) के लिए भेजा गया. उसके बाद सुरेश अभी जीआरपी धनबाद में परीक्ष्यमाण है. सारी प्रक्रिया पूरी होने पर जिला बल में सब-इंस्पेक्टर के पद पर स्थान दिया जायेगा.
प्रभात खबर से अध्ययन में मिली मदद
सुरेश ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं की वह लगातार तैयारी करता है. अभी भी जारी है. इसमें उन्हें अखबार से काफी मदद मिली. विशेष कर प्रभात खबर के साथ आने वाला सप्लीमेंट अवसर व नॉलेज पेज से काफी सहयोग मिला. इस पेज पर प्रतियोगी परीक्षा की पूरी जानकारी होती है. पढ़ाई व तैयारी करने का पूरा मैटेरियल मिल जाता है. प्रभात खबर बिना पढ़े मैं रह नहीं सकता.
मुकाम के लिए सब जायज है
12 साल से लगातार सुबह तीन बजे से लेकर नौ बजे तक पेपर बांटा. इस काम ने मेरी पढ़ाई बाधित नहीं की. लक्ष्य तय था, किसी भी सरकारी नौकरी में जाना. आज उस मुकाम तो पहुंच गया हूं, लेकिन अभी इस नौकरी से संतुष्ट नहीं हूं, पढ़ाई जारी है. जेपीएससी की तैयारी में लगा हूं, डायरेक्ट डीएसपी बनना है, जितनी मेहनत करनी पड़े, करूंगा.