रोज 20 हजार टन उत्पादन का दावा भी संदेह के घेरे में
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न्यू गोधर-कुसुंडा कोलियरी में स्टॉक से अधिक दिखाया गया कोयला!
रोज 20 हजार टन उत्पादन का दावा भी संदेह के घेरे में चालू वित्तीय वर्ष में लगातार पीछे चल रहा है कुसुंडा एरिया धनबाद : बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया की न्यू गोधर कुसुंडा कोलियरी के बुक स्टॉक में 1.20 लाख टन कोयला होने का दावा किया जा रहा है. जबकि जानकार बताते हैं कि स्टॉक […]
चालू वित्तीय वर्ष में लगातार पीछे चल रहा है कुसुंडा एरिया
धनबाद : बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया की न्यू गोधर कुसुंडा कोलियरी के बुक स्टॉक में 1.20 लाख टन कोयला होने का दावा किया जा रहा है. जबकि जानकार बताते हैं कि स्टॉक में 25 हजार टन भी कोयला नहीं है. अगर इसकी जांच हो तो इसका खुलासा हो जायेगा. जहां तक कुसुंडा एरिया का सवाल है तो यह उत्पादन-डिस्पैच में लगातार पीछे चल रहा है. कभी करोड़ों का लाभ देने वाला यह एरिया आज करोड़ों के नुकसान में हैं. इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि एरिया की कई परियोजनाएं बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रही है. इसमें न्यू गोधर-कुसुंडा परियोजना (एनजेकेसी) कोलियरी की हालत सबसे खस्ता है. चालू वित्तीय वर्ष में गोधर-कुसुंडा कोलियरी लगातार अपने लक्ष्य से पीछे चल रही है. नवंबर माह तक कोलियरी प्रबंधन को 9,13,000 टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य दिया गया था,
लेकिन कोलियरी प्रबंधन को 5,40,167 टन ही कोयला उत्पादन करने में सफलता मिली है. यानी गोधर-कुसुंडा प्रबंधन ने लक्ष्य से 3,72,833 टन कोयला कम उत्पादन किया है.
…तो डिस्पैच 14 हजार टन ही क्यों? : वर्तमान में कुसुंडा एरिया हर रोज औसतन 20 हजार टन कोयले का उत्पादन कर रहा है, जबकि डिस्पैच औसतन 14 हजार टन ही कोयला हो रहा है. अब सवाल उठ रहा है कि जब उत्पादन 20 हजार टन हो रहा तो 14 हजार टन कोयला डिस्पैच होने के पश्चात भी रेलवे को पेनाल्टी (एलबी) क्यों देनी पड़ रही है. इसको लेकर भी कई तरह की चर्चा हो रही है, जो जांच का विषय है.
एक नजर में गोधर-कुसुंडा कोलियरी का प्रदर्शन
माह लक्ष्य उत्पादन
अप्रैल 40,000 38,667
मई 1,30,000 5,240
जून 1,20,000 4,620
जुलाई 1,00000 60,540
अगस्त 1,50,000 1,45,000
माह लक्ष्य उत्पादन
सितंबर 1,20,000 1,14,780
अक्तूबर 1,18,000 90,000
नवंबर 1,35,000 81,320
कुल 9,13,000 5,40,167
(नोट : आंकड़ा नवंबर तक का)
कोयले की कमी नहीं, प्रतिदिन हो रहा डिस्पैच
कोलियरी के स्टॉक में कोयले की कमी नहीं है. चूंकि मेरे पास तीन स्टॉक हैं, जहां कोयला रखा गया है. प्रतिदिन कोयला डिस्पैच भी हो रहा है.
एके शर्मा, परियोजना पदाधिकारी (गोधर-कुसुंडा एरिया)
क्षेत्र में उठ रहे हैं सवाल
सीनियर के रहते जूनियर को पीओ क्यों बनाया?
कई सीनियर माइनिंग मैन के रहने के बावजूद जूनियर अधिकारी वरीय प्रबंधक (माइनिंग) एके शर्मा को न्यू गोधर-कुसुंडा कोलियरी का परियोजना पदाधिकारी (पीओ) बनाये जाने पर भी अधिकारी सवाल उठा रहे हैं. अफसर एसोसिएशन भी इसका पूर्व में विरोध कर चुका है. उनका कहना है कि जब एरिया व कंपनी के पास कई वरीय अधिकारी हैं तो जूनियर को क्यों पीओ बना दिया जाता है. जमसं (कुंती गुट) के बीसीसीएल मुख्यालय सचिव अरुण प्रकाश पांडेय ने कहा कि विजिलेंस विभाग के नियम-कानूनों का हवाला देते हुए प्रबंधन कहता है कि संवेदनशील पदों पर अधिकारी-कर्मचारी को तीन साल से ज्यादा नहीं रहना है. उनका तबादला कर दिया जाता है. लेकिन गोधर के पीओ पर न प्रबंधन की नजर है और न ही विजिलेंस विभाग की. एके शर्मा ने एक दशक पूर्व बतौर असिस्टेंट मैनेजर कुसुंडा एरिया की गोधर कोलियरी में योगदान दिया था. इस बीच उन्हें पदोन्नति तो मिलते गयी, लेकिन उनका तबादला कभी भी कुसुंडा एरिया के बाहर नहीं हुआ. , जबकि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) व विजिलेंस विभाग की गाइड-लाइन के मुताबिक किसी भी अधिकारी के पदोन्नति पर एरिया से बाहर तबादले का प्रावधान है.
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