लगता है जैसे नदी तालाब से सीधे पानी लिया गया हो. कई बार यह सवाल उठा, लेकिन प्रशासन के स्तर पर कोई कदम नहीं उठाये गये. जनप्रतिनिधियों ने एक-दो बार बयान जारी किया और शांत बैठ गये. जहां तक पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का सवाल है तो वह यह मानता है कि पानी मटमैला आ रहा होगा, लेकिन इसकी वजह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से गंदा पानी का सप्लाइ नहीं, बल्कि पाइप लाइन में लिकेज को मानता है. उसका कहना है कि पाइप लाइन के पुरानी होने, उसके फट जाने के कारण नालों का पानी उसमें प्रवेश कर जाता होगा.
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तीन लाख की आबादी पी रही मैथन का गंदा पानी, चुप हैं जनप्रतिनिधि-अधिकारी, यह भी बड़ी हैरानी
धनबाद : बरसात के समय से ही घरों में मैथन के मटमैले पानी की आपूर्ति हो रही है. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग पानी को उबाल कर पीते हैं. संपन्न लोग जार या बोतलबंद पानी खरीदते हैं. लेकिन बड़ी संख्या में लोग उसी पानी का सेवन कर रहे हैं और उदर संबंधी परेशानियां झेल रहे […]
धनबाद : बरसात के समय से ही घरों में मैथन के मटमैले पानी की आपूर्ति हो रही है. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग पानी को उबाल कर पीते हैं. संपन्न लोग जार या बोतलबंद पानी खरीदते हैं. लेकिन बड़ी संख्या में लोग उसी पानी का सेवन कर रहे हैं और उदर संबंधी परेशानियां झेल रहे हैं. पानी इतना मटमैला आ रहा है कि जिस बरतन में रखा जाता है उसकी सतह तक नहीं दिखती है.
19 जलमीनारों से होती है सप्लाइ : मैथन जलापूर्ति योजना के तहत 19 जलमीनारों से जलापूर्ति होती है. शहर की लगभग तीन लाख की आबादी इस पानी पर निर्भर है.
एक टाइम ही हुई जलापूर्ति : शहर के किसी भी जलमीनार से गुरुवार की शाम को जलापूर्ति नहीं हुई. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अनुसार सुबह में 6.20 से आठ बजे तक, अपराह्न एक बजे से 2.30 तक, 4.35 से 6.15 तक, फिर शाम को 6.55 में बिजली कट गयी. सुबह में 10 बजे तक 19 जलमीनार से जलापूर्ति हो गयी थी.
गाद निकालने की मशीन नहीं
भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण 2007 में नागार्जुन कंपनी ने किया था. 10 साल हो गये. यहां शुरू से ही गाद हटाने वाली बैक वॉश मशीन नहीं लगी है. लिहाजा गाद हटाने के क्रम में एक एमएलडी (दस हजार गैलन) पानी बहा दिया जाता है. उस पर भी गाद पूरी साफ नहीं हो पाती.
वाटर एनेलाइजर खराब
पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए एनेलाइजर तो लगाया गया है, लेकिन वह पहले दिन से ही काम नहीं कर रहा. अब तो वह जंग खा चुका है. कहा जाता है कि गुणवत्ता की जांच लेबोरेटरी में करायी जाती है. एनेलाइजर खराब रहने से भी परेशानी हो रही है.
फिल्टर बेड भी नहीं कर रहा काम
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में फिल्टर बेड भी ठीक से काम नहीं कर रहा है. इसकी गहरायी जहां ढाई से तीन फीट होनी चाहिए, जबकि अभी एक फीट ही है. इसमें बालू के साथ एक केमिकल मिलाकर पानी साफ करने का दावा किया जाता है. लेकिन गहराई कम होने से पानी पूरी तरह साफ नहीं हो पाता.
यह भी हो सकती है वजह
जलापूर्ति व्यवस्था का मेंटेनेंस करने वाली एजेंसी वीए टैक का पेयजल एवं स्वच्छता विभाग पर पांच करोड़ रुपये बकाया था. इसमें से सिर्फ एक करोड़ 35 लाख का भुगतान हुआ है. 31 मार्च के बाद इसकी सेवा का विस्तारीकरण भी नहीं हुआ है. टेंडर में शर्तों का पालन नहीं होने से नयी कंपनी भी नहीं रखी जा रही है. वीए टैक को ही मौखिक तौर पर एक्सटेंशन दिया गया है. शायद यही वजह होगी कि पानी की सफाई में कोताही बरती जा रही होगी. हालांकि कंपनी के कर्मी इसे मानने को तैयार नहीं. उनका कहना है कि क्लोरीन और फिटकिरी से पहले की तरह सफाई होती है. जबकि जानकारों का कहना है कि क्लोरीन और फिटकिरी बचाने के चक्कर में ही पानी को ढंग से साफ नहीं किया जाता.
घर-घर की कहानी, मटमैला पानी
प्रभात खबर की टीम ने गुरुवार को शहर के कई मुहल्ले के लोगों से पूछताछ की और सप्लाइ के पानी को देखा. सभी जगह पानी मटमैला मिला. सराढेला, मटकुरिया, मनइटांड़, गांधी नगर के लोगों ने कहा कि काफी दिनों से पानी मटमैला आ रहा है. कोई भी कभी भी इसका मुआयना कर सकता है. हीरापुर जलमीनार के पानी की जांच की गयी, वहां का पानी भी मटमैला था.
जांच के नाम पर हो रही है खानापूरी
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सहायक अभियंता राहुल प्रियदर्शी का कहना है कि अगर कहीं से शिकायत मिलती है तो वहां के पानी की वे लाेग जांच करायेंगे. एक सप्ताह पहले मनईटांड़ मुहल्ले के लोगों ने गंदा पानी की शिकायत की. विभाग ने उसी मुहल्ले के दूसरे भाग से पानी का सैंपल लिया लेकिन आज तक उस मुहल्ले के पानी या पाइप लाइन की जांच नहीं हुई. जहां के पानी का सैंपल लिया गया वहां भी चार दिनों से अधिक हो गये लेकिन जांच में क्या पाया गया इसकी रिपोर्ट नहीं आयी है.
कहां होती है पानी की जांच?
बेकारबांध में पानी की क्वालिटी की जांच के लिए लेबोरेटरी है, लेकिन यहां शहरी क्षेत्र के पानी की जांच नहीं होती. यहां चापानल के पानी की जांच होती है. मैथन से शहर को आपूर्ति किये जाने वाले पानी की जांच के लिए भेलाटांड़ में लेबोरेटरी है लेकिन प्रभात खबर की टीम को नहीं ले जाया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ पानी की आपूर्ति होती है. कुछ जगहों पर मटमैला पानी की शिकायत मिली थी. वहां की पाइप लाइन में गड़बड़ी थी. पुरानी पाइप लाइन के फट जाने के कारण नाला का पानी चला जाता है. लेकिन शिकायत मिलने पर उसे ठीक करा दिया जाता है. कनेक्शन देने के क्रम में भी कुछ गड़बड़ी रह जाती होगी, इसलिए पाइप से ही गंदा पानी जाता होगा. पानी में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है.
राहुल प्रियदर्शी, सहायक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग
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