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खुद कुपोषण का शिकार गोविंदपुर का कुपोषण उपचार केंद्र

धनबाद : बाहर घनी झाड़ियां तो अंदर जैसे-तैसे रखी गयी दवाएं व बेड-कुर्सियां. कभी यहां कुपोषित बच्चों का इलाज होता था, अब गोदाम घर बन गया है. यह हाल है गोविंदपुर के कुपोषण उपचार केंद्र का. भवन को जर्जर बता कर केंद्र को 22 जुलाई 2017 की रात से बंद कर दिया गया. केंद्र को […]

धनबाद : बाहर घनी झाड़ियां तो अंदर जैसे-तैसे रखी गयी दवाएं व बेड-कुर्सियां. कभी यहां कुपोषित बच्चों का इलाज होता था, अब गोदाम घर बन गया है. यह हाल है गोविंदपुर के कुपोषण उपचार केंद्र का. भवन को जर्जर बता कर केंद्र को 22 जुलाई 2017 की रात से बंद कर दिया गया. केंद्र को दूसरी जगह शिफ्ट भी नहीं किया गया. लिहाजा इलाके के कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. लगभग 70 दिनों के बाद भी न केंद्र की मरम्मत हो पायी, न वैकल्पिक व्यवस्था. 10 अगस्त को सिविल सर्जन ने केंद्र का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश दिये थे, लेकिन वाबजूद कोई असर नहीं हुआ. यहां केंद्र झारखंड सरकार, यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ आदि की मदद से चल रहा था.
सेविका-सहिया भी हो रहीं परेशान : सरकार सहिया व सेविका को घर-घर जाकर कुपोषित बच्चे को पहचान करके कुपोषण उपचार केंद्र में भेजने का निर्देश दे रही है, तो दूसरी ओर केंद्र पर ताला जड़ दिया गया है. गोविंदपुर की सेविका-सहिया कुपोषित बच्चे को लेकर केंद्र आती हैं तो उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. मजबूरन इन इलाकों में कुपोषित बच्चे मिलने पर भी लाभ नहीं दिला पा रही हैं.
माताओं को मिलते हैं प्रतिदिन 100 रुपये : केंद्र में भरती होने वाले कुपोषित बच्चों को 14 दिनों तक रखने का प्रावधान होता है. इस दौरान बच्चों के साथ रहने वाली माताओं को भी सरकार की ओर से सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता दिया जाता है.
पीएमसीएच में चार वर्ष से पड़ी है राशि, नहीं खुला केंद्र
पीएमसीएच में सरकार ने वर्ष 2013 में साढ़े आठ लाख रुपये कुपोषण उपचार केंद्र के लिए राशि दी गयी थी. लेकिन अभी तक यहां केंद्र नहीं खोला गया है. दरअसल, यह राशि सिविल सर्जन के नाम से मुहैया करायी गयी थी. धनबाद में सदर अस्पताल नहीं होने से राशि पीएमसीएच को मुहैया करा दी गयी थी. पीएमसीएच ने राशि ले ली, लेकिन इसके लिए अलग से चिकित्सक व नर्स की मांग कर दी. इसी बीच मामला अटक गया.
जानकारी लेती हूं
कुछ दिन पूर्व स्थल का निरीक्षण किया था. यहां के प्रभारी डॉ शीला को तत्काल केंद्र को बगल के बासा गृह में खोलने का निर्देश दिया था. मरम्मत के लिए फाइल गयी है. अभी तक वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं हुई, जानकारी लेती हूं.
डॉ चंद्रांबिका श्रीवास्तव, प्रभारी सीएस
छत से प्लास्टर गिरने के कारण बंद कर दिया गया था केंद्र
कुपोषण उपचार केंद्र में जुलाई में छत के कई जगहों से प्लास्टर गिर गये थे. कुछ बच्चे व उनकी माताएं चोटिल होने से बची थी. इसके बाद जिला स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर बंद करा दिया गया था. इसकी मरम्मत के लिए सिविल सर्जन उपायुक्त को पत्र लिखा. एक माह में मरम्मत पूरा कर लेने की बात सीएस ने कही थी. इस बीच वैकल्पिक के तौर पर बगल में केंद्र सुचारू रूप से चलाने का निर्देश सिविल सर्जन ने गोविंदपुर के चिकित्सा प्रभारी को दिया था.
धनबाद में टुंडी व गोविंदपुर में है केंद्र
कुपोषण उपचार केंद्र धनबाद में दो सीएचसी में फिलहाल खोला गया था. एक टुंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में है, तो दूसरा गोविंदपुर सामुदायिक स्ववास्थ्य केंद्र में. लेकिन गोविंदपुर में फिलहाल केंद्र बंद हो गया है. इस कारण जिले में मात्र एक केंद्र ही बचा है. वहीं पीएमसीएच में एक केंद्र खोलना था, लेकिन चार वर्ष से साढ़े आठ लाख राशि रहने के बावजूद अभी तक नहीं खोला गया.

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