उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के साथ मारपीट व तोड़फोड़ व अन्य मुद्दों को लेकर आइएमए (नेशनल) के पदाधिकारी केंद्र सरकार से मिले थे. इसे लेकर सरकार ने अंतर मंत्रालय कमेटी का गठन किया था. उक्त कमेटी ने साल भर पहले अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, लेकिन अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया. मौके पर जिला सचिव डाॅ सुशील कुमार, डॉ बीके सिंह, डाॅ मेजर चंदन, डॉ रेणू उपाध्याय, डॉ यूके ओझा, डॉ सुरेंद्र कुमार, डॉ राकेश इंदर, डॉ कृष्णा सिंह, डाॅ सुनील कुमार, डॉ आरएन मुखोपाध्याय आदि मौजूद थे.
- डॉक्टरों के साथ मारपीट व तोड़फोड़ को लेकर देश भर में एक तरह का सेंट्रल एक्ट बनाया जाये.
- क्लिनिकल स्टाब्लिसमेंट एक्ट में कॉरपोरेट घराने को ही फायदा है. इसमें संशोधन हो.
- पीसी पीएनडीटी एक्ट में संशोधन करना चाहिए.
- उपभोक्ता फोरम में कई बार डॉक्टरों पर काफी बड़ी राशि का जुर्माना लगा दिया जाता है, इसमें संशोधन हो.
- एमबीबीएस पढ़ाई पूरी करने के बाद इंट्रेंस परीक्षा लेने का निर्णय वापस किया जाये.
- एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) जो चिकित्सकों व मेडिकल कॉलेज का नियंत्रित करता है, की जगह पर केंद्र सरकार नेशनल मेडिकल काउंसिल बना रही है. इसमें डॉक्टरों की जगह नेता व नन मेडिकल प्रैक्टिसनर को लाया जा रहा है. इसे निरस्त किया जाये.