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आइआइटी-आइएसएम: उच्चतर शिक्षा जगत में नये अध्याय की तैयारी, पत्रकारिता व कानून सहित 29 नये विषयों की पढ़ाई की योजना

धनबाद: धनबाद स्थित आइआइटी-आइएसएम में अब पत्रकारिता व कानून के अलावा 29 नये विभाग भी होंगे. इन विभागों की शुरुआत को लेकर संस्थान प्रबंधन तैयारी में जुट गया है. विभागों की शुरुआत करने को लेकर पांच से दस वर्षों की समय सीमा निर्धारित की गयी है. साथ ही विभिन्न विभागों को इसके लिए उत्तरदायी भी […]

धनबाद: धनबाद स्थित आइआइटी-आइएसएम में अब पत्रकारिता व कानून के अलावा 29 नये विभाग भी होंगे. इन विभागों की शुरुआत को लेकर संस्थान प्रबंधन तैयारी में जुट गया है. विभागों की शुरुआत करने को लेकर पांच से दस वर्षों की समय सीमा निर्धारित की गयी है. साथ ही विभिन्न विभागों को इसके लिए उत्तरदायी भी बनाया गया है. उम्मीद जतायी जा रही है कि इन विभागों के शुरू होने के बाद अगले पांच वर्षों में संस्थान में 12,000 और 10 वर्षों में 20,000 स्टूडेंट्स संस्थान में अध्ययनरत होंगे. भविष्य की इन योजनाओं का खुलासा संस्थान की ट्रांसफॉर्मेशन इनिशिएटिव्स, अचीवमेंट्स एंड विजन फॉर फ्यूचर ग्रोथ की रिपोर्ट में हुआ है. संस्थान इन सभी विभागों को फेज वाइज शुरू करेगा.
क्या आ रही दिक्कत : इन विभागों को शुरू करने में संस्थान के सामने वर्तमान में जमीन की समस्या है. हालांकि झारखंड सरकार ने संस्थान को 300 एकड़ भूमि देने का आश्वासन दिया है. धनबाद जिले के निरसा में भी जमीन मिलनेकी बात है. इसके अलावा संस्थान की ओर से कोलकाता स्थित सेंटर के लिए भी पश्चिम बंगाल सरकार से जमीन की मांग की गयी है.
18 विभाग 7900 स्टूडेंट्स : संस्थान में वर्तमान में लगभग 18 विभाग हैं और यहां करीब 7900 स्टूडेंट्स अध्ययनरत हैं. 300 शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं 310 के लगभग कर्मचारी कार्यरत हैं. विदेशी स्टूडेंट्स को भी आइएसएम आकर्षित करता रहा है. यहां आम तौर पर मास्टर एवं पीएचडी की पढ़ाई के लिए यूएसए, इटली, स्पेन, वेनेजुएला, घाना, तंजानिया, नाइजीरिया, यूगांडा, साउथ सूडान, मोजंबिक, अफगानिस्तान आदि देशों के स्टूडेंट्स आते रहे हैं.
पांच वर्षों का प्लान व उत्तरदायी विभाग
1. स्कूल ऑफ लॉ (मैनेजमेंट स्टडीज) 2. स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटी (ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेस) 3. स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन (ह्यूमैनिटिज एंड सोशल साइंसेस, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) 4. सेंटर फॉर न्यू फ्रंटियर इन माइनिंग (माइनिंग इंजीनियरिंग अप्लाई जियोलॉजी फ्यूल एंड मिनरल इंजीनियरिंग) 5. स्कूल ऑफ क्लीन को टेक्नोलॉजी (फ्यूल एंड मिनरल इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग) 6. सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सिविल इंजीनियरिंग, एनवायरमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग) 7. सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड एटमोस्फेरिक स्टडीज (एनवायरमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग, फ्यूल एंड मिनरल इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, अप्लाइड केमिस्ट्री, अप्लाइड जियोलॉजी) 8. स्कूल ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी (इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग) 9. सेंटर फॉर न्यूक्लियर साइंस एंड इंजीनियरिंग (एप्लाइड फिजिक्स, एप्लाइड केमिस्ट्री, माइनिंग इंजीनियरिंग, फ्यूल एंड मिनरल इंजीनियरिंग) 10. सेंटर फॉर जिओ स्पेशियल टेक्नोलॉजी (माइनिंग इंजीनियरिंग व अप्लाइड जियोलॉजी) 11. सेंटर फॉर ऑटोमेशन एंड रोबोटिक्स (मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग) 12. सेंटर फॉर माइनिंग एंड अलाइड मशीन डेवलपमेंट (माइनिंग मशीनरी इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) 13. सेंटर फॉर एडवांस्ड रिजर्वेयर स्टडीज (पेट्रोलियम इंजीनियरिंग व अप्लाइड जिओफिजिक्स) 14. सेंटर फॉर मेंटेनेंस एंड रिलायबलिटी इंजीनियरिंग (माइनिंग मशीनरी इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग) 15. डाउनस्ट्रीम कोल एंड हाइड्रोकार्बन इंजीनियरिंग (केमिकल इंजीनियरिंग, अप्लाइड केमिस्ट्री, फ्यूल एंड मिनरल इंजीनियर) 16. सेंटर फॉर वाटर रिसोर्सेज इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट (सिविल इंजीनियरिंग, एनवायरमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग, अप्लाइड जियोलॉजी) 17. सेंटर फॉर अर्थक्वेक इंजीनियरिंग एंड नेचुरल हजार्ड (सिविल इंजीनियरिंग, अप्लाइड जिओफिजिक्स) 18. सेंटर फॉर मटेरियल साइंस एंड एनर्जी (केमिकल इंजीनियरिंग, अप्लाइड केमिस्ट्री) 19. सेंटर फॉर हाई परफॉर्मेंस एंड क्लाउड कंप्यूटिंग (कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, एप्लाइड मैथमेटिक्स) 20. स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस एंड एकाउंटिंग (मैनेजमेंट स्टडीस) 21. स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स (मैनेजमेंट स्टडीस) 22. सेंटर फॉर माइक्रोवेव एंड फोटोनिक्स (इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, एप्लाइड फिजिक्स) 23. सेंटर फॉर पावर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड ड्राइव (इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, एप्लाइड फिजिक्स) 24. सेंटर फॉर एडवांस्ड कैटेलाइसिस (एप्लाइड केमिस्ट्री व केमिकल इंजीनियरिंग)
1926 में शुरू हुआ था संस्थान
भारत के खनन संबंधी शोध संस्थानों में सबसे प्रमुख आइएसएम की स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान सन् 1926 में लंदन के रॉयल स्कूल ऑफ माइंस की तर्ज पर की गयी थी. इसका विधिवत उद्घाटन 9 दिसंबर, 1926 को वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था. इसके गठन का प्रस्ताव 1901 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 17वें अधिवेशन में पारित कर दिया गया था. प्रस्ताव में था कि देश की सभी खदानों को खनन विशेषज्ञों की निगरानी में रखा जाये. कांग्रेस नेताओं का यह भी मानना था कि रॉयल स्कूल ऑफ माइंस, लंदन या माइनिंग कॉलेज ऑफ जापान की तर्ज पर माइनिंग कॉलेज खोला जाये.
2016 में मिला आइआइटी का दर्जा
आइएसएम को पिछले साल छह सितंबर, 2016 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) का दर्जा प्राप्त हो गया और इस तरह आइएसएम देश का 17वां आइआइटी बन गया है. इसके बाद संस्थान का नाम आइआइटी (आइएसएम) धनबाद हो गया. इस दर्जे के लिए संस्थान के स्टूडेंट्स से लेकर शिक्षकों तक ने काफी मेहनत की. धनबाद के साथ रांची एवं दिल्ली में कई बार शांतिपूर्वक आंदोलन हुए. आइआइटी की इस मांग का आंदोलन वर्ष 2009 में जोर पकड़ा. 15 अप्रैल 2014 को चुनावी सभा में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आइएसएम को आइआइटी बनाने का वादा भी किया था.
संस्थान ने खोजा खनिज का भंडार
आइआइटी आइएसएम, धनबाद की टीम ने नागपुर (महाराष्ट्र) के रामटेक सब डिवीजन में 30 मिलियन टन मैगनीज ओर भंडार की खोज की है. इसकी बाजार कीमत लगभग 36,000 करोड़ रुपये है. यह संस्थान ही नहीं, देश के लिए भी बड़ी उपलब्धि है.
विश्व के 29 टॉप यूनिवर्सिटी के साथ एकेडमिक व रिसर्च कोलाब्रेशन
संस्थान के विश्व के 29 टॉप यूनिवर्सिटी के साथ एकेडमिक एवं रिसर्च कोलोब्रेशन है. इनमें अमेरिका स्थित टॅक्सस टॅक यूनिवर्सिटी-यूएसए, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा सेंट पिट्सबर्ग-यूएसए, अर्कांसस स्टेट यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ विंडसर-कनाडा, लॉरेंटियन यूनिवर्सिटी-कनाडा, पॉलिटेक्निक डी यूनिवर्सिडेड डी साओ पाउलो-ब्राजील, कर्टिन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी-ऑस्ट्रेलिया, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू कैस्टल, यूनिवर्सिटी ऑफ वोल्लोंगोंग, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स, यूनिवर्सिटी ऑफ क्विंसलैंड, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न सिडनी, मोनास यूनिवर्सिटी, सेफ्टी इन माइंस, टेस्टिंग एंड रिसर्च स्टेशन, क्लॉस्थल ऑफ टेक्नोलॉजी-जर्मनी, पोलिटेक्निको डी टोरिनो-इटली, पर्म नेशनल रिसर्च पॉयटेनिक यूनिवर्सिटी आदि शामिल हैं.
दस वर्षों का प्लान व उत्तरदायी विभाग
1. सेंटर फॉर हाई वोल्टेज इंजीनियरिंग (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) 2. सेंटर फॉर ओसियन इंजीनियरिंग (सिविल इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग व अप्लाइड जियोलॉजी) 3. सेंटर फॉर कॉस्मोलॉजी एंड स्पेस एप्लीकेशन (अप्लाइड फिजिक्स व एप्लाइड मैथेमैटिक्स) 4. स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग (एनवायरमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग व केमिकल इंजीनियरिंग) 5. स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (हेल्थ सेंटर, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग एवं एप्लाइड केमिस्ट्री).
संस्थान के फ्यूचर प्लान में 29 केंद्र शामिल किये गये हैं. इसके लिए काम शुरू हो चुका है. इन विभागों के लिए संस्थान को जमीन की जरूरत है. जमीन मिलने के बाद ही आगे कुछ हो सकता है. राज्य सरकार का सहयोग मिलता है, तो आइआइटी-आइएसएम देश के उच्चतर शिक्षा जगत में अपनी और मजबूत स्थिति बना पायेगा.
एमके सिंह, रजिस्ट्रार, आइआइटी-आइएसएम

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