धनबाद : बचपन से गुरुवाणी गाती थी. मेरे साथ मेरी दोनों बहन व एक भाई भी गुरुवाणी गाता है. मैं बचपन से ही गायक बनना चाहती थी, जिसे मैंने हासिल भी कर ली. शुरुआती दौर में थोड़ी परेशानी तो हुई, लेकिन धीरे-धीरे एक दर्जन से ज्यादा हिंदी फिल्मों में गाना गाने का मौका मिला. ये मेरे माता-पिता और वाहे गुरु की देन है. जीवन की उक्त सच्चाई को शुक्रवार को बयां किया बॉलीवुड की प्लेबैक सिंगर अशीश कौर ने. वह शनिवार को प्रभात खबर द्वारा आयोजित गुरु सम्मान समारोह में संगीत पेश करेंगी.
शुक्रवार को वह धनबाद पहुंच गयी है. इस दौरान कहा कि शुरू के तीन साल तक कोई काम नहीं मिला. इस दौरान मां मेरे साथ ही रहती थी, लेकिन जब मुझे फिल्म में गाना गाने का मौका मिला तो पिता पानीपत का व्यवसाय छोड़ मुंबई में आकर व्यवसाय करने लगे. बताया कि बचपन से सिंगर के साथ ही डॉक्टर बनने का भी शौक था. लेकिन 10वीं पास के बाद मैंने साइंस की तरफ देखा नहीं. वाणिज्य लेकर एमकॉम तक पढ़ाई की.