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धनबाद में खादी और खाकी के बेजोड़ मेल से शुरू है कोयला का अवैध ध‍ंधा

धनबाद : खा दी (राजनेता) और खाकी (पुलिस) के बेजोड़ मेल के कारण अरसे बाद धनबाद जिले में डंके की चोट पर कोयला तस्करी शुरू है. अरसे बाद इतने बड़े पैमाने पर धनबाद कोयलांचल में कोयला का अवैध धंधा चल रहा है. बाघमारा, बरवाअड्डा से लेकर निरसा तक और झरिया कोयलांचल का शायद ही कोई […]

धनबाद : खा दी (राजनेता) और खाकी (पुलिस) के बेजोड़ मेल के कारण अरसे बाद धनबाद जिले में डंके की चोट पर कोयला तस्करी शुरू है. अरसे बाद इतने बड़े पैमाने पर धनबाद कोयलांचल में कोयला का अवैध धंधा चल रहा है. बाघमारा, बरवाअड्डा से लेकर निरसा तक और झरिया कोयलांचल का शायद ही कोई इलाका हो,

जहां अवैध कोयला कारोबार नहीं चल रहा हो. आउटसोर्सिंग परियोजनाओं से हाइवा-का-हाइवा कोयला गायब कराना, बीसीसीएल व इसीएल की बंद पड़ी असुरक्षित खदानों से अवैध खनन कराना, स्थानीय गरीब ग्रामीणों द्वारा विभिन्न खनन परियोजनाओं से चुन कर अथवा चोरी कर साइकिल के माध्यम से लाये जानेवाले कोयला को जमा कराना समेत विभिन्न हथकंडों से कोयला तस्करी जारी है. राजनेताओं से लेकर जनप्रतिनिधि, पुलिस से लेकर सीआइएसएफ और बीसीसीएल के अधिकारी तक इस गोरखधंधे में बेखौफ शामिल हैं. अवैध कारोबार में जुटे विभिन्न सिंडिकेट से प्रतिमाह करीब 50 लाख रुपये की वसूली की चर्चा है. यह भारी-भरकम राशि धनबाद से लेकर राजधानी रांची तक पुलिस-प्रशासन के छोटे-बड़े अधिकारियों के नाम पर वसूली जा रही है.

झारखंड की पूर्व सरकार (हेमंत सोरेन की सरकार) में कोयला के अवैध कारोबार के खिलाफ जमीन-आसमान एक कर देनेवाले भाजपा नेता आज मौन हैं. धनबाद के एसपी पद पर सुमन गुप्ता से लेकर रविकांत धान के समय तक कोयला तस्करी पर जिस तरह रोक लगी रही, उसे बरकरार रखने में वर्तमान एसएसपी विफल माने जा रहे हैं.

100 से अधिक जानवर लदी गाड़ियां जाती हैं बंगाल
उ त्तर प्रदेश और मध्य बिहार से धनबाद जिले से गुजरनेवाले जीटी रोड (कोलकाता-नयी दिल्ली फोर लेन) से बड़े पैमाने पर जानवरों को पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजने का धंधा चल रहा है. हर रोज 100 से अधिक गाड़ियों में भर कर गोवंशीय पशु समेत अन्य जानवरों को बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजा रहा है. इसमें मवेशी तस्करों का बड़ा गिरोह काम कर रहा है. एक, दो नहीं बल्कि दर्जनों गिरोह सक्रिय हैं. सभी मिलकर इस धंधे को फलने-फूलने में सहयोग कर रहे हैं.
धनबाद जिले में इसका लंबा नेटवर्क बन चुका है, जो तोपचांची से लेकर मैथन तक गाड़ी पास करवाते हैं. झारखंड गोवंशीय पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम 2005 धनबाद जिले में बेअसर साबित हो रहा है. पशु तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पुलिस द्वारा यदा-कदा पशु लदे कुछ वाहनों को जब्त कर खानापूर्ति की जाती है. जीटी रोड पर पड़नेवाले थानों के पुलिसकर्मियों, पशु चिकित्सकों, स्थानीय नेताओं, सफेदपोश लोगों और कथित समाजसेवियों की सहभागिता इस धंधे में है.
सभी को हिस्सेदारी मिल रही है. सभी का रेट तय है. इस धंधे से आर्थिक लाभ उठानेवालों में कुछ वैसे लोग भी शामिल हैं, जो गोवंशीय पशुओं की रक्षा का दंभ भरते हैं. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह कि गोवंशीय पशु पकड़े जाने की स्थिति में एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जाता है

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