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विडंबना: पूरे धनबाद रेल मंडल में एक भी एटीपी स्कूल का नहीं हो रहा है संचालन, बच्चों को पढ़ाने में रुचि नहीं रखती रेलवे
धनबाद: भारतीय रेलवे ने अब अपने कर्मचारियों के बच्चों का भविष्य संवारने से मुंह मोड़ लिया है. कुछ दशक पहले तक लगभग सभी रेलवे कॉलोनियों में रेलकर्मियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए रेलवे का स्कूल चलता था. जहां कर्मचारियों के बच्चों को नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा दी जाती थी. धीरे-धीरे सभी स्कूलों को बंद कर […]
धनबाद: भारतीय रेलवे ने अब अपने कर्मचारियों के बच्चों का भविष्य संवारने से मुंह मोड़ लिया है. कुछ दशक पहले तक लगभग सभी रेलवे कॉलोनियों में रेलकर्मियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए रेलवे का स्कूल चलता था. जहां कर्मचारियों के बच्चों को नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा दी जाती थी. धीरे-धीरे सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया. धनबाद रेल मंडल के सभी एटीपी (आस्टिरिटी प्राइमरी) स्कूल बंद कर दिया गया. अब उस स्कूल में न तो बच्चें जाते हैं और न ही उसका रख-रखाव किया गया है. लगभग स्कूल खंडहर बन चुके हैं.
कुछ स्कूलों का तो नामोनिशान मिटा कर वहां रेलवे क्वार्टर बना दिया गया है. धनबाद रेल मंडल में कई स्थानों पर एटीपी स्कूल खोला गया था. स्कूल नया बाजार रेलवे कॉलोनी, तेतुलतल्ला मैदान के बगल में, डायमंड क्रासिंग कॉलोनी, डीएस कॉलोनी, पाथरडीह रेलवे कॉलोनी, बरमसिया ओल्ड स्टेशन रेलवे कॉलोनी में स्कूल बंद हो चुके हैं. गोमो, कोडरमा सहित अन्य स्थानों के स्कूल भी बंद कर दिया गया. जबकि धनबाद में एकमात्र हिल कॉलोनी स्थित इस्ट सेंट्रल रेलवे मिक्स प्राइमरी स्कूल ही चल रहा है.
एटीपी स्कूल कर्मचारियों के बच्चों के लिए खोला गया था, जिसमें नर्सरी से लेकर पांचवी तक की पढ़ाई होती थी. दो या तीन कमराें में कक्षाएं चलती थी. कई शिक्षक होते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह पूरी तरह से बंद कर दिया गया. रेलवे सूत्रों ने बताया कि जब धनबाद रेल मंडल इस्टर्न रेलवे में हुआ करता था, उसी समय कई स्कूलों को बंद कर दिया गया. कुछ स्कूल 2016 में बंद हो गये.
कई सुविधा मिलती है छात्रों को : धनबाद रेल मंडल के रेल कर्मचारियों के बच्चों को पढ़ाई के लिए कई तरह का अनुदान दिया जाता है. इसमें कक्षा नर्सरी स्कूल से लेकर 12 वीं तक बच्चों को पढ़ने के लिए प्रतिवर्ष 18 हजार रुपया दिया जाता है. हायर एजुकेशन के लिए राशि दी जाती है. कक्षा 10 वीं व 12 वीं टॉप आने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती है. साल में एक बार कक्षा छठीं से लेकर 10 वीं तक की बच्चियों को स्कूल आने जाने के लिए साइकिल दी जाती है.
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