लेकिन उसे प्रबंधन नौकरी नहीं दे रहा है. बल्कि उलटा उससे बिना पूछे उसका पेंशन शुरू कर दिया है. पेंशन वह नहीं लेगी. दूसरी ओर आइओसी प्रबंधन का कहना है कि पहले प्रावधान था लेकिन अब ऐसा नहीं है.
इसलिए नौकरी दे पाना संभव नहीं है. कई राउंड में आइओसी के प्रतिनिधि के साथ माला की वार्ता धरना स्थल पर हुई लेकिन वह नहीं मानी. इधर लगातार उपवास पर बैठने के बाद जब माला की तबीयत बिगड़ गयी तो स्वास्थ्य विभाग की टीम शनिवार के दिन में उसे लेने आयी. लेकिन वह नहीं गयी तब रात में 10 जून को उसे पीएमसीएच में भरती करा दिया गया. वहां से छूटते ही वह फिर से आकर रणधीर वर्मा चौक पर भूख हड़ताल पर बैठ गयी.