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कोल इंडिया की 62 भूमिगत खदानें होंगी बंद

धनबाद: कोयले की डिमांड में कमी, प्रॉफिट में गिरावट और दसवें वेतन समझौता में कोयला मजदूरों की ऊंची मांग से परेशान कोल इंडिया प्रबंधन ने खर्च में कटौती के लिए 62 भूमिगत खदानों को बंद करने का फैसला किया है. कोल इंडिया के एक उच्चपदस्थ अधिकारी के मुताबिक घाटे में चलने वाली ये खदानें वित्तीय […]

धनबाद: कोयले की डिमांड में कमी, प्रॉफिट में गिरावट और दसवें वेतन समझौता में कोयला मजदूरों की ऊंची मांग से परेशान कोल इंडिया प्रबंधन ने खर्च में कटौती के लिए 62 भूमिगत खदानों को बंद करने का फैसला किया है. कोल इंडिया के एक उच्चपदस्थ अधिकारी के मुताबिक घाटे में चलने वाली ये खदानें वित्तीय वर्ष 2017-18 में ही बंद कर दी जायेंगी. इससे करीब 40 हजार कामगार प्रभावित होंगे, जो कुल मैन पावर 3,09,455 के 13 प्रतिशत हैं.
खर्च में कटौती कर पैसा बचाने की कवायद: कुल 62 भूमिगत खदानों में कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल,डब्ल्यूसीएल और एसइसीएल की खदानें शामिल हैं. उक्त अधिकारी कहते हैं यह न्यायोचित नहीं है कि घाटा देनेवाली खदानों को चलाकर कंपनी का बैलेंस सीट खराब किया जाये. इन खदानों को बंद कर प्रशासनिक मद में और रॉ मटेरियल के खर्चे में कटौती कर हम पैसा बचा सकते हैं.
डब्ल्यूसीएल ने 10 खदानों की सूची बनायी
कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई डब्लूसीएल ने 10 भूमिगत खदानों को चिह्नित कर सूची जारी की है, जिसे साल 2017-18 में बंद कर देना है. बंद हनेवाली खदान के मजदूरों को वीआरएस या गोल्डन हैंड सेक स्कीम का लाभ दिया जाएगा. इस बारे में डब्ल्यूसीएल ने प्रस्ताव कोल इंडिया के निदेशक (तकनीक) को भेजा है.
नया निर्णय नहीं
जानकारों के अनुसार यह कोई नया निर्णय नहीं है. कोल इंडिया की 413 खदानें ऐसी हैं जो घाटे में चल रही हैं. डब्ल्यूसीएल की खदानों का उत्पादन लागत सबसे अधिक है. साल 2016-17 में 554 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ, जिसमें 200 भूमिगत खदानों का योगदान मात्र 5 प्रतिशत था. कोल इंडिया प्रबंधन पिछले दो दशक से भूमिगत खदानों को बंद करने का प्रयास कर रहा है. इस दौरान मात्र 30-40 खदान ही बंद हो पायी. खदानों की बंदी का मजदूर संगठन पुरजोर विरोध करता रहा है.

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