देवघर: झारखंड में कुल 14 सीटों पर लोकसभा चुनाव होना है. सात अप्रैल से 12 मई तक नौ चरणों में पूरे देश में लोकसभा चुनाव होगा. 16 मई को काउंटिंग होगी. इस बार के चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में एक बटन ऐसा भी होगा, जिसका उपयोग वैसे मतदाता कर सकेंगे, जिन्हें अपने लोकसभा क्षेत्र में चुनाव मैदान में खड़े एक भी उम्मीदवार पसंद नहीं हैं.
उस बटन का नाम नोटा- बटन होगा. चुनाव में इस बटन का उपयोग दूसरी बार हो रहा है. पहली बार 2013 में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में इस बटन का उपयोग वोटरों ने किया था.
क्या है नोटा
इस बार इवीएम में नन ऑफ द एबभ यानी नोटा का विकल्प भी दिया गया है. अगर वोटर किसी प्रत्याशी को वोट नहीं देना चाहते हैं तो वह नोटा का बटन दबा सकते हैं.
2013 के पहले भी था नोटा लेकिन फार्म भरा जाता था
2013 में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव से पहले अगर कोई वोटर किसी उम्मीदवार को अपना वोट नहीं देना चाहता था, तो उसे अलग से एक फार्म भरना होता था और अपनी पहचान बतानी होती थी. वहीं, अब इवीएम में नोटा विकल्प होने से पहचान भी जाहिर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
पहली बार कब आया नोटा
दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में 11 नवंबर से 4 दिसंबर 2013 में पहली बार नन ऑफ एबभ यानी नोटा का विकल्प रखा गया. पहली बार मतदाताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा का विकल्प देखा था.
नोटा की कुछ रोचक बातें
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 27 दिसंबर 2013 में नोटा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था
2009 में ही चुनाव आयोग ने कोर्ट के सामने नोटा सुविधा मुहैया कराने की बात कही
ये फैसला राजनीति से करप्शन खत्म करने के मद्देनजर लिया गया है
ऐसा माना गया कि इससे सियासी दल साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को ही टिकट देंगे
नोटा के रूप में जो वोट रिजस्टर्ड होंगे, उनकी गिनती होगी
इसलिए नोटा चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करेगा