मधुपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में जवानों की मौत के बाद रेल पुलिस सतर्कता बरतने का दावा तो कर रही है, लेकिन वास्तविकता कुछ अलग ही है. चूंकि मधुपुर रेल स्टेशन परिसर पूर्व से ही नक्सलियों के निशाने पर रहा है.
कई बार नक्सली हमले की गुप्त सूचना भी मुख्यालय से मिली है. लोकसभा चुनाव से पूर्व नक्सली संगठन अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कई जगह अपराधिक घटना को अंजाम दे सकते हैं. छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के बाद आम लोगांे की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं. मधुपुर स्टेशन परिसर समेत कई रेल पुल, जीआरपी व आरपीएफ भी नक्सलियों के निशाने पर हैं. खुफिया विभाग द्वारा इस आशय की रिपोर्ट कई बार सरकार को भेजी गयी है. इसके बाद भी मधुपुर स्टेशन समेत महत्वपूर्ण ट्रेनों में सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है. स्टेशन के मुख्य दरवाजा पर लगा मेटल डिटेक्टर भी शोभा की वस्तु बना हुआ है. बिजली नहीं मिल पाने के कारण यह आज तक चालू नहीं हो पाया है.
स्टेशन परिसर में सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगाया गया है. जो संदिग्धों पर नजर रख सके. आरपीएफ व जीआरपी के सभी हथियार पूर्व में ही हटा लिये गये हैं. हथियार बंद आरपीएसएफ के जवानों को भी मधुपुर से हटा लिया गया है. कई महत्वपूर्ण ट्रेनों में भी स्कॉट नहीं हो रहा है.
गिरिडीह-मधुपुर ट्रेन भी निहत्थे जवानों के भरोसे हैं जो खुद अपनी सुरक्षा के लिए अंदर से बंद वातानुकूलित डब्बे में रात को गश्ती करते हैं. सुरक्षा में इन खामियों का फायदा कभी भी कोई आपराधिक व नक्सली संगठन उठा सकता है. लेकिन, रेल पुलिस प्रशासन अब भी इन सबसे बेखबर बना हुआ है.