देवघर: एडिश्नल सेशन जज पांच रवि रंजन की अदालत द्वारा क्रिमिनल रिविजन संख्या 155/2015 बालेश्वर प्रसाद राय बनाम राम प्रसाद तिवारी व अन्य की सुनवाई पूरी करने के बाद आवेदक के पक्ष में आदेश पारित गया. आवेदक श्री राय का रिविजन पिटीशन स्वीकृत कर लिया गया व लोअर कोर्ट के पारित संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया गया. इससे आवेदक को बड़ी राहत मिल गयी. यह रिविजन एसडीजेएम मधुपुर की अदालत द्वारा जीआर केस नंबर 843/2014 में 15 मई 2015 को पारित आदेश के विरुद्ध दाखिल किया था.
इसमें तत्कालीन प्रखंड पंचायत राज्य पदाधिकारी गोपीबांध थाना सारठ के राम प्रसाद तिवारी, तत्कालीन थाना प्रभारी चितरा शिवपूजन बहेलिया व सारठ विधान सभा के तत्कालीन निर्वाचन पदाधिकारी राधेश्याम प्रसाद को प्रथम विपक्षीगण तथा झारखंड सरकार को द्वितीय विपक्षी बनाया गया था. पिटीशन में उल्लेख है कि बालेश्वर प्रसाद राय विधान सभा चुनाव 2014 में सारठ विधान सभा क्षेत्र से उम्मीदवार के तौर पर थे जिन पर विपक्षियों ने सारठ थाना में प्राथमिकी संख्या 147/14 दर्ज कराया. वे रिटायर्ड जिला अभियोजन पदाधिकारी थे व चुनाव लड़े थे. इसी दौरान उनके द्वारा प्रचार कार्य में प्रयुक्त लाउडीस्पीकर को रोका था व आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. अनुसंधान कर पुलिस ने आरोप पत्र एसडीजेएम मधुपुर की अदालत में दाखिल किया जहां पर न्यायालय में बहस सुनने के बाद इनके विरूद्ध संज्ञान लिया गया. इसी संज्ञान आदेश के विरुद्ध आवेदक ने रिवीजन याचिका प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवघर में दाखिल किया जिसे पंजीकृत कर एएसजे पांच की अदालत में भेज दिया गया जहां पर अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद उक्त आदेश दिया गया. आवेदक को प्राथमिकी के आरोपों से मुक्त कर दिया गया.
सीएम को लिखा पत्र पांच करोड़ का किया दावा
न्यायालय का आदेश पर आवेदक ने खुशी जतायी व न्याय की जीत बताया. साथ ही सूबे के सीएम, मुख्य सचिव व डीजीपी को पत्र लिखकर पांच करोड़ रुपये का दावा किया है. कहा है कि विपक्षी राधेश्याम प्रसाद, राम प्रसाद तिवारी व शिवपूजन बहेलिया द्वारा इस प्रकार का कार्य किया गया और उन्हें बेवजह मुकदमा में साजिश के तहत फंसाया था. इन तीनाें पदाधिकारियों को सेवा से बरखास्त करने तथा पांच करोड़ रुपये मानहानि के तौर पर मुहैया कराने का अनुरोध किया है. कहा है कि तीनों पदाधिकारियों ने उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया है व मान सम्मान को ठेस पहुंचाया है. देर से ही, लेकिन न्याय मिला है.