फोरम में दाखिल पुराने आंकड़ों को देखा जाये तो अब तक कुल 2149 मामले दाखिल हुए हैं जिसमें से 1860 निष्पादित हो चुके हैं. शेष 399 मामले लंबित हैं. ये विगत 15 साल के आंकड़े हैं. विगत 15 साल के एक्सक्यूशन के आंकड़ों पर गाैर किया जाये तो 301 केस दाखिल हुए व 247 निष्पादित हुए. ट्रायल में 54 मामले लंबित हैं. हर साल उपभोक्ताओं का रूझान अपने अधिकारों के प्रति बढ़ता जा रहा है. यानि हर साल सौ से अधिक उपभोक्ता ठगी के शिकार होते हैं व दावा के लिए फोरम में वाद दाखिल करते हैं. इस साल सौ तक भी मामलों का ग्राफ नहीं पहुंच पाया. गत वर्षों की तुलना में वर्ष 2016 में कम मामले आये हैं.
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उपभोक्ता हो रहे जगरूक, अधिकार के लिए पहुंच रहे उपभोक्ता फोरम
देवघर: जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम के प्रति लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2016 में कुल 67 उपभोक्ताओं ने वाद दाखिल किये हैं व अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर दावा ठोंके हैं. साथ ही एक्सक्यूशन के कुल सात मामले दाखिल हुए. हर माह पांच से भी अधिक मामले दाखिल हुए हैं. इसमें […]
देवघर: जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम के प्रति लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2016 में कुल 67 उपभोक्ताओं ने वाद दाखिल किये हैं व अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर दावा ठोंके हैं. साथ ही एक्सक्यूशन के कुल सात मामले दाखिल हुए. हर माह पांच से भी अधिक मामले दाखिल हुए हैं. इसमें करीबन एक दर्जन मामलों का निष्पादन इस वर्ष में हुआ है.
फोरम में सुनाये जाते हैं फैसले
उपभोक्ताओं की ओर से दाखिल वाद की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद आदेश पारित किये जाते हैं. इसके लिए एक अध्यक्ष व दो सदस्यों की बेंच होती है. इसमें से एक महिला सदस्य का होना सुनिश्चित किया गया है. किसी भी वाद के फैसले में अध्यक्ष व एक सदस्य का होना जरूरी है. वगैर कोरम पूरा हुए मामलों में आदेश पारित नहीं किये जा सकते हैं.
कैसे दाखिल किये जाते हैं वाद
उपभोक्ता अगर किसी भी प्रकार की सामानाें की खरीदारी करते हैं व खरीद की गयी वस्तुओं की गुणवत्ता सही नहीं होती है तो इसके लिए वाद दाखिल कर सकते हैं. एक लाख तक के दावे वाले मुकदमों में कम से कम सौ रुपये का पोस्टल आॅर्डर दाखिल करना होता है. इसके बाद ही वाद की स्वीकृति होती है. वाद स्वीकृत होने के बाद विपक्षियों को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी जाती है. उपस्थिति पूरी होने के बाद दोनों पक्षों की ओर से गवाही व दस्तावेजों की प्रस्तुति होती है. पश्चात बहस के बाद आदेश सुनाये जाते हैं. विपक्षी अगर हाजिर नहीं होते हैं तो प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक पक्षीय आदेश सुनाये जाते हैं. आदेश का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में एक्सक्यूशन केस दाखिल होते हैं जिसमें वारंट की शक्तियां फोरम को प्राप्त है.
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