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69 साल बाद भी रघु बाबू को सरकार ने नहीं दिया सम्मान

देवघर : बिहार के बांका जिला स्थित चांदन प्रखंड के उदालखुुट गांव निवासी 1942 के स्वतंत्रता सेेनानी रघु प्रसाद यादव उर्फ रघु बाबू को समाज नेे सम्मान तो दिया, लेकिन सरकार ने उन्हें अब तक उचित सम्मान नहीं दिया. करीब 101 वर्षीय रघु बाबूू स्वतंत्रता सेेनानी को मिलने वाली सरकारी सुविधा से वंचित है. सरकार […]

देवघर : बिहार के बांका जिला स्थित चांदन प्रखंड के उदालखुुट गांव निवासी 1942 के स्वतंत्रता सेेनानी रघु प्रसाद यादव उर्फ रघु बाबू को समाज नेे सम्मान तो दिया, लेकिन सरकार ने उन्हें अब तक उचित सम्मान नहीं दिया. करीब 101 वर्षीय रघु बाबूू स्वतंत्रता सेेनानी को मिलने वाली सरकारी सुविधा से वंचित है.
सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी का पेंशन रघु बाबू को नहीं दिया. बांका से लेकर पटना तक कई बार चक्कर लगा चुके प्रशासनिक उपेेक्षा के शिकार रघु बाबू ने अब पेंशन पाने की लालसा को भी छोड़ दिया है, चूंकि उनकी अब उम्र भी नहीं है कि देश की आजादी दिलाने के बाद उन्हें अपने ही सरकार से सम्मान पाने के लिए गुहार लगानी पड़े. रघु बाबू अब अपने गांव को छोड़ इन दिनों मोहनपुर प्रखंड स्थित नवाडीह गांव में अपनी बेटी के घर रह रहे हैं. वे स्वतंत्रता सेनानी का पेंशन पाने के लिए कई बार पत्राचार भी कर चुके हैं. कटोरिया के तत्कालीन विधायक पप्पू यादव ने विधानसभा में भी रघु बाबू को स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना समेत अन्य सुविधा का मुद्दा उठा चुकेे हैं. तत्कालीन बिहार सरकार के गृह विभाग से रघु बाबू के नाम से पत्राचार कर सूचित भी किया था, लेकिन सबकुछ लालफीताशाही में ही सिमट कर रह गया.
अब गुुहार लगाने की जरुरत नहीं : रघु बाबू
रघु प्रसाद यादव उर्फ रघु बाबू ने कहा कि देश की आजादी में हमने जो भूमिका निभायी है, इसका प्रमाण साथी स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने पत्रों में दिया है. अब मुुझे सरकार के पास प्रमाण रखने व गुहार लगाने की जरुरत नहीं है. सरकार को लगता है कि वे स्वतंत्रता सेनानी की योजनाओं का लाभ पाने का हकधारी हम हैं तो दे सकते हैं. मैंने कई बार बांका से लेकर पटना तक चक्कर लगाया है.
आंदोलन में उखाड़ी थी रेल की पटरी
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रघु बाबू का आंदोलन की भूमि संताल परगना की धरती ही रही है. 1942 के आंदोलन में संताल परगना से नामचीन स्वतंत्रता सेनानी जामताड़ा जिले के करमाटांड़, बाबूडीह निवासी गंगा सिंह के साथ रघु बाबू आंदोलन में शामिल रहते थे. स्वतंत्रता सेनानी गंगा सिंह ने पत्र जारी रघु बाबू के बारे में बताया है कि 1942 के अगस्त क्रांति में ब्रिटिश सरकार से फरार घोषित होने के बाद भी रघु प्रसाद यादव देश की आजादी की लड़ाई में सक्रिय रुप से काम करते थे. आंदोलनकारियों केे साथ ब्रिटिश सरकार के खिलाफ रेल पटरी उखाड़ने में रघुु बाबू आगे रहते थे.

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